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राखी वही है उसका महत्त्व वही, पर बदला है तो उसका स्वरूप। आइए जानने का प्रयास करें कैसे?
राखी का रूप
पहले समय में राखी हर बहन अपने भाई के लिये खुद बनाती थी। लाल चुनरी कपड़े में राई नमक की पोटली बनायी जाती थी। जिसको कलावे से बांधकर राखी का आकार दिया जाता था भाई की कलाई पर बांधने के लिए। लाल रंग का कपड़ा शुभता का प्रतीक होता था उसमें बंधी नमक, राई भाई को बुरी नजर से बचाने का कार्य करती थी कलावे की धागे में बंधी गांठें भाई बहन के रिश्ते को मजबूती देती थी। इन्द्रा मंत्री का कहना है कि 'मुझे आज भी याद है कि हमारी माता जी विद्यावती जी घर का सारा कार्य करके रात में अपने दोनों भाइयों के लिए राखी अपने हाथों से बनाती थी राखी बनाते समय वो इतने सुन्दर भावपूर्ण गाने गाती थी जो आज भी जुबान पर आते हैं तो आंखें नम हो जाती हैं। उनकी बनाई राखी अपने प्यार को झलकाती थी उनकी राखी का अलग ही रंग होता था' जी हां सही तो है पर आज राखी का स्वरूप बदल चुका है। हाथ से बनी राखी लुप्त हो गयी है आज बाजार में एक नहीं अनेक तरह की राखी है जैसे चंदन राखी, कार्टून रखी, म्यूजिकल राखी, जरी राखी, नेट राखी, रेशमी राखी, रुद्राक्ष राखी, स्टोन राखी, मेटल राखी, राखी स्टोन वाली, ब्रेसलेट राखी, भगवान की मूर्ति वाली राखी, सोने, चांदी, डायमंड से बनी राखी आज बाजार में मिलती है। अनुरिमा जौहरी कहती हैं 'जब बाजार में ही इतनी वैरायटी और कम दानों पर ही राखी मिल जाती है तो फिर हाथों से राखी बनाने में समय क्यों गंवाया जाये फिर घर की बनी राखी में वो बात नहीं आ पाती और मेरे भाई को तो राखी में भी हर साल वैरायटी चाहिए इसलिए मैं एक नहीं कई राखी खरीदती हूं उसके लिये फिर जो उसको पंसद आती है वही बांधती हूं उसको'।
निष्कर्ष
Denne historien er fra August 2023-utgaven av Sadhana Path.
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देश-विदेश में बसंत पंचमी के विभिन्न रंग
विविधता में एकता वाले हमारे इस देश में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं। हालांकि यहां विभिन्न क्षेत्रों में त्योहार मनाने के ढंग अलग होते हैं, पर सभी त्योहारों के पीछे उद्देश्य एक ही होता है अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना तथा हर्षोल्लास से एक साथ मिलकर अपनी खुशियों को बढ़ाना।
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बसंतोत्सव का महत्त्व
बसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है जो अपने साथ प्राकृतिक सौंदर्य हीं नहीं लाती बल्कि मनुष्य के मन में उमंग और हर्षोल्लास भी लाती है। ऋतुओं के राजा बसंत के साथ और क्या-क्या जुड़ा है ? जानिए इस लेख से।
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आदर्श प्रेम के प्रतीक देवी-देवता
यूं तो हर इंसान का प्रेम अपने आप में सम्पूर्ण व अनुकरणीय होता है परन्तु कुछ लोगों का प्रेम इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो जाता है। आइये नमन करें कुछ ऐसे ही प्रेम के प्रतीकों को।
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आपकी गृहस्थी में सेंध लगा सकती है ऐसी अपेक्षायें?
अपने पारिवारिक जीवन की चर्चा या कोई उलझन कभी किसी पुरुष सहयोगी के सामने बयां न करें अन्यथा वह सहानुभूति दर्शाकर सहयोग देने की पेशकश करेगा और अंततः आपके दुख, जो दुख न होकर सिर्फ क्षणिक क्रोध था, को हवा देगा।
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इन 5 घरेलू चीज़ों से सफर में होगा सेहत का साथ
कई लोगों को घूमने का शौक तो होता है, पर वह सफर में होने वाली मोशन, सिकनेस के डर से कहीं बाहर नहीं निकल पाते। ऐसे में परेशान होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि आपके किचन में ही इनके समाधान मौजूद है।
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बसंत पंचमी से जुड़ी कथाएं और घटनाएं
विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी पवित्र हिन्दू त्योहार है। एक इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
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महिलाओं में कैंसर के सामान्य प्रकार
अभी तक ज्यादातर मामलों में कैंसर को आनुवंशिक माना गया था | नए अनुसंधानों में पता चला है कि कैंसर के कारण काफी हद तक अस्वस्थ जीवनशैली और असंतुलित आहार में होते हैं।
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सेहत के लिए फायदेमंद है अखरोट
अखरोट खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद भी होता है। आखिर अखरोट खाने के क्या हैं फ़ायदे, यह किस तरह से और किस समय खाना चाहिए, आइए जानें-
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इन स्वास्थ्यवर्धक टिप्स से बनाएं सफर सुहाना
सफर के दौरान खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि सफर का लुत्फ तभी लिया जा सकता है जब आपका स्वास्थ्य अच्छा हो।
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नूतन उत्साह का प्रतीक बसंत पंचमी
प्रकृति में बसंत के आगमन की टोह मन में एक नए उल्लास, आशा एवं अचानक ही लगता है कि मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो उठा है। परिवर्तन में भावों की पावन धाराएं बहने लगी हैं और हमारे तन, मन और व्यवहार में सुंदर एवं सुमधुर अभिव्यक्तियां झलकने लगती हैं। कहते हैं, प्रकृति जब मुस्कुराने लगती है, तब उसके अंतर्गत आने वाले सभी जड़-जीव एवं मनुष्यों में मुस्कुराहट फैल जाती है।