पढ़ने का समय तय करने के बाद, एक निश्चित स्थान पर बैठकर पढ़ाई करें। अपने आप से पूछें कि आप जहां बैठ कर पढ़ने जा रहे हैं, वह आपकी पढ़ाई के लिए उपयुक्त स्थान है। आपको अपनी पढ़ाई के लिए काफी उपयुक्त व अनुकूल माहौल व स्थान चुनना चाहिए। आपको निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
दिनचर्या निश्चित करें- जिस समय आप स्वयं को तरोताजा और चुस्त पाएं, उसी समय सबसे कठिन विषय सामग्री की तैयारी करें। अपने आप से पूछें कि आप यह से पढ़ाई (सुबह/दोपहर/शाम/रात) कब कर पाएंगे। फिर उसी के हिसाब से अपनी दिनचर्या निश्चित करें।
समूह- आप अकेले पढ़ना चाहेंगे, छोटे समूह में या फिर किसी बड़े समूह के साथ? यदि छोटे समूह में पढ़ना चाहते हैं तो बड़ी कक्षाओं में न जाएं। ऐसी कक्षाओं में जाएं, जहां पढ़ाने के लिए समूह गतिविधि की रणनीति अपनाई जाती है। पेपरों व टैस्टों की तैयारी के लिए स्टडी ग्रुप बनाएं।
पोस्चर- कुछ लोग पूरी एकाग्रता से पढ़ने के लिए मेज-कुर्सी का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग सोफे या फर्श पर बैठना पसंद करते हैं। कुछ लोग पढ़ने व याद करने के लिए ट्रेडमील को चुनते हैं, तो कुछ चहलकदमी पसंद करते हैं। कुछ लोग लंबे समय तक लगातार बैठ सकते हैं तो कुछ हर थोड़ी देर बाद ब्रेक लेना चाहते हैं। अपने पोस्चर व पढ़ने की क्षमता का पता लगाकर, तय कीजिए कि आपको कब व कहां पढ़ना चाहिए।
आवाज- आमतौर पर पढ़ने के लिए शांत माहौल चाहिए लेकिन कुछ लोगों को इसकी जरूरत नहीं होती। अगर आप हल्के या शास्त्रीय संगीत के साथ पढ़ना चाहते हैं तो आपको अपनी पढ़ाई व याद करने के अनुकूल संगीत ही चुनना होगा।
Denne historien er fra September 2023-utgaven av Sadhana Path.
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।