
माथे के मध्य भाग, जहां सिन्दूर लगाया जाता है, वहां एक 'सुषुम्ना' नाड़ी है। जिस प्रकार कुर्म नाड़ी शरीर को नियंत्रित करती है, उसी प्रकार सुषुम्ना नाड़ी का सीधा संबंध शरीर की रागात्मक वृत्ति से है। इस नाड़ी का संबंध प्रेम से है। महिलाएं जब सिंदूर लगाती हैं तो सिंदूर में पारा मिला होता है, जो सुषुम्ना नाड़ी के संपर्क में आते ही शरीर में रागात्मक वृत्ति को उत्तेजित कर देता है। इसलिए सुहागिन महिलाएं सिंदूर धारण करती हैं कि उसके शरीर में रागात्मक वृत्ति बनी रहे क्योंकि शरीर में रागात्मक वृत्ति के होने से पति-पत्नी के बीच दाम्पत्य मैत्री बनी रहती है। दोनों के बीच प्रेमात्मक संबंध बना रहता है। क्योंकि सिंदूर सुषुम्ना नाड़ी को उद्दीप्त करता रहता है। इसलिए सुहागिन महिलाएं सिंदूर धारण करती हैं। इसके अतिरिक्त कुमारी लड़कियां और विधवा महिलाएं इसलिए सिंदूर धारण नहीं करती कि उन्हें रागात्मक वृत्ति की आवश्यकता नहीं है।
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क्यों पड़ती हैं चेहरे पर झुर्रियां
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ऊर्जा का रूपांतरण
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