यदि कोई हमसे पूछे कि जीवन के लिए अनिवार्य तीन तत्त्व कौन से हैं, तो संभवतया हममें से अधिकतर लोग बिना अधिक सोचे वरीयता क्रम में कहेंगे वायु, जल और भोजन। वायु (श्वास) के बिना प्राणी कुछ मिनट, जल के बिना कुछ दिन, तो भोजन के बिना कुछ सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रह सकता। इसके अतिरक्त जो भी वस्तुएं हैं, उनके बिना वह आरामदायक जीवन भले ही न जी सके, परन्तु जीवित अवश्य रह सकता है।
यदि यह सत्य है, तब तो अपेक्षित था कि हम संसार के तथाकथित एकमात्र बुद्धियुक्त प्राणी (मनुष्य), इन तीनों वस्तुओं की साज-संभाल बड़े अच्छे से करते, ताकि इनके अभाव में किसी जीव को जीवन से हाथ न धोना पड़े। परन्तु अफसोस कि जितनी लापरवाही मनुष्य इन वस्तुओं के विषय में बरतते हैं, उसे देख कर तो लगता है कि हम से अच्छे तो सीमित बुद्धि वाले वन्य जीव हैं जो इन संसाधनों की जरा भी बर्बादी नहीं करते। हमारे देश में तो स्थिति और भी बदतर है, जहां इन बातों पर सोचने तक की फुर्सत किसी को नहीं है। परन्तु यदि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं तो हमें इस पर ध्यान देना ही होगा।
तो आइये विचार करते हैं कि जाने-अनजाने हम किस प्रकार इन तीनों ही जीवनदायी तत्त्वों के विषय में अनपेक्षित व्यवहार करते हैं और इसको रोकने के लिए व्यक्तिगत रूप से हम क्या कर सकते हैं -
वायु
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