टइफाइड मुख्य रूप से आंतों से संबंधित एक बीमारी है जिसका इलाज दवाइयों और इंजेक्शन के द्वारा किया जाता है। हालांकि, इसमें डाइट का भी उतना ही महत्व होता है जितना कि दवाइयों का। टाइफाइड में आंतों को आराम पहुंचाने के लिए सही खानपान का चयन करना बहुत जरूरी होता है। अगर इसमें कुछ गलत चीजों का सेवन कर लिया जाए तो टाइफाइड ठीक होने के बजाए कई तरह की अन्य समस्याएं आ जाती हैं। खासकर कि दूध का सेवन इस बीमारी में खतरनाक हो सकता है।
टाइफाइड क्या होता है
टाइफाइड एक खतरनाक बीमारी है जो आंतों से संबंधित है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण संक्रमित भोजन खाने और पानी पीने से होता है। इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है। टाइफाइड में व्यक्ति को तेज बुखार, डायरिया और भूख ना लगना आदि जैसी समस्याएं होती हैं। टाइफाइड की समस्या लोगों में मानसून और पतझड़ के मौसम में ज्यादा देखने को मिलती है। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है वे लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आते हैं।
टाइफाइड के लक्षण
टाइफाइड में व्यक्ति को 104 डिग्री के ऊपर तेज बुखार होता है, इसमें सिर में तेज दर्द, कब्ज व डायरिया की शिकायत, भूख में कमी होना, थकान का अनुभव होना, ठंड लगना, पेट में तेज दर्द होना, शरीर में दर्द, गले में खराश जैसी समस्याएं होती हैं।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
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