टिक टिक करती घड़ी की सुई किसने बनाई
Sadhana Path|May 2024
हाथ में बंधी हो या दीवार पर टंगी जब तक घड़ी चलती रहती है हमें समय का पता चलता रहता है लेकिन जैसे ही इसकी सुई रुक जाती है तो ऐसा लगता है कि मानो समय थम सा गया हो। क्या कभी सोचा है कि आरिवर घड़ी का आविष्कार कैसे हुआ और किसने किया? चलिए जानते हैं।
अंजु अग्निहोत्री
टिक टिक करती घड़ी की सुई किसने बनाई

घड़ी वह यंत्र है जो संपूर्ण स्वचालित प्रणाली द्वारा किसी न किसी रूप में वर्तमान समय को प्रदर्शित करती है। घड़ियां कई सिद्धान्तों से बनायी जाती हैं। जैसे - जल घड़ी, धूप घड़ी, यांत्रिक घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक घड़ी आदि लेकिन आधुनिक घड़ी के आविष्कार का मामला कुछ पेचीदा है। घड़ी की मिनट वाली सुई का आविष्कार स्विट्जरलैंड के जॉस बर्गी ने 1577 में अपने खगोलशास्त्री मित्र के लिए किया। 

उनसे पहले जम्नी के न्यूरमबर्ग शहर में पीटर हेलेन ने ऐसी घड़ी बना ली थी जिसे एक जगह से दूरी जगह ले जाया जा सके। जिस तरह हम आज हाथ में घड़ी पहनते हैं वैसी पहली घड़ी पहनने वाले आदमी थे जाने माने फ्रांसीसी गणितज्ञ और दार्शनिक ब्लेज पारकल, ये वही ब्लेज पारकल हैं जिन्हें कैलकुलेटर का आविष्कारक भी माना जाता है। लगभग 1650 के आसपास लोग घडी जेब में रखकर घूमते थे, ब्लगज पास्कल इस रस्सी से इस घड़ी को हथेली में बांध लिया ताकि वो काम करते समय घड़ी देख सकें? उनके कई साथियों ने उनका मजाक भी उड़ाया लेकिन आज हम सब हाथ में घड़ी पहनते हैं।

जल एवं धूप घड़ी

प्राचीन काल में धूप के कारण पड़नेवाली किसी वृक्ष अथवा अन्य स्थिर वस्तु की छाया के द्वारा समय का अनुमान किया जाता था। ऐसी धूप घड़ियों का प्रचलन अत्यंत प्राचीन काल से होता आ रहा है जिनमें आकाश में सूर्य के भ्रमण के कारण किसी पत्थर या लोहे के स्थिर टुकड़े की परछाई की गति में होनेवाले परिवर्तन के द्वारा घड़ी या प्रहर का अनुमान किया जाता था। बदली के दिनों में अथवा रात में समय जानने के लिए जल घड़ी का आविष्कार चीन देशवासियों ने लगभग तीन हजार वर्ष पहले किया था। कालांतर में यह विधि मिस्त्रियों, युनानियों एवं रोमनों को भी ज्ञात हुई। जलघड़ी में दो पात्रों का प्रयोग होता था। एक पात्र में पानी भर दिया जाता या और उसकी तली में छेद कर दिया जाता था। उसमें से थोड़ा-थोड़ा जल नियंत्रित बूंदों के रूप में नीचे रखे हुए दूसरे पात्र में गिरता था। इस पात्र में एकत्र जल की मात्रा नाप कर समय अनुमान किया जाता था। बाद में पानी स्थान पर बालू का प्रयोग होने लगा।

इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां 

Denne historien er fra May 2024-utgaven av Sadhana Path.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra May 2024-utgaven av Sadhana Path.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA SADHANA PATHSe alt
तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
Sadhana Path

तुलसी से दूर करें वास्तुदोष

हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।

time-read
2 mins  |
November 2024
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
Sadhana Path

क्यों हुआ तुलसी का विवाह?

कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।

time-read
4 mins  |
November 2024
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
Sadhana Path

बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

time-read
7 mins  |
November 2024
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
Sadhana Path

सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक

सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।

time-read
5 mins  |
November 2024
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
Sadhana Path

सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन

भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।

time-read
5 mins  |
November 2024
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
Sadhana Path

एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'

छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।

time-read
7 mins  |
November 2024
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
Sadhana Path

जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया

सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।

time-read
3 mins  |
November 2024
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
Sadhana Path

सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ

अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?

time-read
3 mins  |
November 2024
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
Sadhana Path

लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा

लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-

time-read
5 mins  |
November 2024
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
Sadhana Path

योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति

हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।

time-read
2 mins  |
November 2024