महिलाएं काम में व्यस्तता के चलते अपने स्वास्थ पर ध्यान नहीं दे पातीं। चाहें तो खानपान हो या फिर स्वास्थ, घर की जिम्मेदारियों के पीछे वह अपने आप को भूल ही जाती हैं, लेकिन 32 वर्ष की उम्र के बाद उन्हें सतर्कता बरतने की सख्त आवश्यकता होती है, क्योंकि शरीर में उम्र के साथ-साथ बेहद बदलाव आते हैं, खासतौर पर 12 से 16 और 28 से 35, जिनका न सिर्फ ध्यान रखना जरूरी है। बल्कि उनके मुताबिक ढालना भी जरूरी है। महिलाओं में 40 वर्ष के बाद कमजोरी और रोगों की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो एक निश्चित उम्र के बाद महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण सही समय पर उनसे निपटने के उपाय सुझाना बेहद आवश्यक है। इसमें समय-समय पर स्वास्थ परीक्षण करवाना भी शामिल है। इसमें ब्रेस्ट की हेल्थ भी विशेष मायने रखती हैं। इस बारे में बता रही हैं नवीन हॉस्पिटल की गाइनोक्लोजिस्ट डॉक्टर राधा अगरतनिया।
ब्रेस्ट की मॉनिटरिंग है जरूरी
महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ गया है यदि ब्रेस्ट में झुर्रियां पड़ जाएं और वह लाल हो जाए, बिना किसी चोट के स्तन पर खरोंच पड़ जाए, ब्रेस्ट में दर्द होने लगे, निप्पल अंदर धंस जाए, निप्पल से खून आने लगे, ब्रेस्ट में दर्द हो या फिर बार-बार बुखार आए तो यह अच्छे लक्षण नहीं हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। समय-समय पर आप खुद भी ब्रेस्ट की मॉनिटरिंग कर सकती हैं। इसे आप अपने कमरे या बाथरूम में नहाने के पहले कर सकते हैं। आप अपने हाथों को सर के ऊपर उठायें ताकि कांख या बगल को आप छू पायें। अपने स्तनों को उंगलियों की मदद से धीरे-धीरे गोलाकार मोशन में बाहर से भीतर की ओर दबाकर देखें, अपने कांख को न भूलें। अगर कोई भी लंप या गांठ महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवायें।
इसके अलावा आप शीशे के सामने हाथों को थोड़ा पीछे करके खड़े हो जाएं। स्तनों का रंग, साइज या संरचना में कोई बदलाव आया है कि नहीं देखें। यहां तक कि ब्रेस्ट के निप्पल के शेप और साइज को देखना न भूलें। अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर भी इसी तरह जांच करें।
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