मकान हो, प्लॉट हो या फिर फ्लैट। कोई भी जमीन खरीदने से पहले हम खूब सोच विचार करते हैं, अपने मित्रों से सलाह करते हैं और ना जाने कितने और अथक प्रयास करने के पश्चात मकान या प्रॉपर्टी खरीदते हैं। परन्तु फिर भी कई बार कुछ ऐसी कमी रह जाती है कि व्यक्ति को घर में कलह, धन की कमी या व्यापार में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ जाता है। हर कोई चाहता है कि उसके घर-परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहे। घर में सुख बनाए रखने के लिए लोग पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन और वास्तु से जुड़े कई उपाय करते हैं। लेकिन फिर भी घर में अशांति और परेशानी का माहौल बना रहता है। ऐसी अवस्था में वास्तुदोष निवारण एकमात्र इलाज है जो हमें परेशानियों से बाहर निकालता है। वास्तुदोष दूर करने के लिए हम कई बार घर में खूब तोड़-फोड़ भी करते हैं, मगर परेशानी ज्यों की त्यों बनी रहती है। ऐसे में हम वास्तु के कुछ सरल उपायों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे घर में बिना बड़े बदलाव किए हम समस्या का निवारण कर सकते हैं।
दर्पण
दर्पण को ऊर्जा का स्रोत माना गया है। परिवार की सुख समृद्धि के लिए भोजन कक्ष में ऐसी जगह पर दर्पण लगाना चाहिए जहां भोजन करते वक्त उसमें प्रतिबिंब दिखाई दे। ऐसी स्थिति में दर्पण लगाने से भोजन करने वाले सभी व्यक्तियों में परस्पर सहयोग और प्रेम का भाव बढ़ता है। साथ ही उस घर में संपन्नता बनी रहती है।
धातु की मूर्तियां
धातु की मूर्तियां एवं अन्य वस्तुओं को घर में रखने के लिए पश्चिम या उत्तर दिशा श्रेष्ठ होती है। दक्षिण दिशा में धातु से बनी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए अन्यथा संतान पक्ष से बाधाएं, मित्रों एवं सहयोगियों से तनाव एवं पृथकता की स्थितियां बन सकती हैं।
स्वास्तिक
स्वास्तिक वास्तुदोष को दूर करने का महामंत्र है। यह धन वृद्धि भी कराता है। अष्टधातु से निर्मित स्वास्तिक पिरामिड यंत्र को पूर्व की तरफ दीवार पर बीच में टांगना चाहिए।
तुलसी का पौधा
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विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
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बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
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जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।