सर्दियों के मौसम की शुरुआत में दो बातें एक साथ आती हैं। पहली तो ये कि इस मौसम में तला-भुना, चटपटा खाते हुए गर्मियों की तरह ज़्यादा सोचना नहीं पड़ता और मनचाहे व्यंजनों का जी भर कर स्वाद लिया जा सकता है, क्योंकि सर्दियों में शरीर को ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है, जिसके चलते भोजन आसानी से पच जाता है।
दूसरी बात, इस मौसम में सेहत से जुड़ी चिंताएं भी सिर उठाने लगती हैं। पूरे परिवार स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए उन्हें फिट बनाए रखना आसान काम नहीं होता। सर्दियों में परिवार के बच्चों के साथ भी कोई न कोई स्वास्थ्य समस्या बनी रहती है। और बुजुर्गों के साथ भी। इनके साथ महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान भी रखना पड़ता है, क्योंकि हर परिवार की धुरी महिलाएं ही होती हैं। यदि उनकी सेहत ज़रा सी भी ख़राब हो तो पूरा परिवार हिल कर रह जाता है। इसी के चलते हम यहां बता रहे हैं कि सर्दियों के इस मौसम में ऐसे क्या उपाय अपनाए जाएं कि ये मौसम आपके लिए हो जाए रोमानी, न कि बीमारी।
मौसमी आहार खाइए
हर मौसम की अपनी एक ख़ूबसूरती होती है, लेकिन इस ख़ूबसूरती का मज़ा तभी लिया जा सकता है, जब सेहत पूरी तरह से फिट हो और अच्छे स्वास्थ्य का राज़ है, सही समय पर सही आहार। सर्दियों के मौसम में हमें ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है, लेकिन साथ ही ये भी उतना ही अहम है कि भोजन स्वादिष्ट होने के साथसाथ पौष्टिक भी हो। सो इस मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाली सब्ज़ियों और फलों को अपने आहार में अधिक से अधिक शामिल करें। ये इम्यून सिस्टम को बढ़ाने का काम करती हैं। ब्रेकफास्ट करना कभी न भूलें।
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पहली सर्दी में नवजात शिशु का रखें खास ध्यान
वैसे तो सर्दियों का मौसम सभी के लिए कुछ अलग ही एहसास लेकर आता है, लेकिन नवजात और उसकी मां के लिए ये मौसम बेहद ख़ास होता है। नवजात शिशु की मां हर पल इसी चिंता में डूबी रहती है कि कहीं बच्चे को ठंड और वो बीमार न पड़ जाए।
वास्तु उपायों से बनाएं नववर्ष को मंगलमय
नया साल अपने साथ खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। ऐसे में पूरे वर्ष को और भी ज्यादा वास बनाने के लिए वास्तु संबंधित कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। इससे घर की परेशानियां दूर होने के साथ आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलेगा।
ज्योतिर्लिंग, रावणेश्वर महादेव
शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है पूर्वी भारत में देवधर के 'रावणेश्वर महादेव'। उनके देवधर में आवास की कथा बेहद रोचक और अद्भुत है। लंकापति रावण की मां शिवभक्त थी।
ओशो और विवेकः एक प्रेम कथा
सू एपलटन अपने पूर्व जन्म से ही ओशो की प्रेमिका रही है। अप्रैल 1971 में ओशो द्वारा संन्यास दीक्षा ग्रहण की। ओशो उसे नया नाम मा योग विवेक दिया। मा विवेक दिसंबर 09, 1989 को अपने भौतिक जीवन से पृथक हो गई।
मुझे कभी मृत मृत समझना मैं सदा वर्तमान हूं
ओशो ने मृत्यु को उसी सहजता और हर्ष से वरण किया था जिस प्रकार से एक आम व्यक्ति जीवन को करता है। उन्होंने जगत को यही संदेश दिया कि मृत्यु के प्रति सदा जागरूक रहो, उसे वरण करो। आज ओशो भले ही अपना शरीर छोड़ चुके हों लेकिन अपने विचारों के माध्यम से वो आज विश्व में कहीं ज्यादा विस्तृत, विशाल रूप से मौजूद हैं।
सर्दी बीतेगी मजेदार, जब अपनाएंगी ये 7 घरेलू नुस्खे
हम आपको ऐसे 7 टिप्स देने जा रहे हैं, जो आपको जाड़े की असल खुश महसूस करने में पूरी मदद करेंगे। इन 7 टिप्स के सहारे आप सर्दी खुशी-खुशी महसूस कर पाएंगी।
सर्दियों में कैसे रखें बच्चों का ख्याल
गर्मियों की तपिश के बाद ठंडी हवाओं के चलते ही मन राहत महसूस करने लगता है, मगर यही सर्द हवाएं अपने साथ रूखापन, खांसी और जुकाम जैसी सौगात लेकर आती हैं, जो बड़े बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती हैं। अगर आप भी सर्दियों में अपने बच्चों को रखना चाहती हैं स्वस्थ, तो बरतें ये खास सावधानियां -
डायबिटीज के कारण यूटीआई का खतरा
यूं तो यूटीआई महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है, पर मधुमेह के कारण यूटीआई के संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
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पीरियड्स के दौरान हाइजीन रखना बहुत जरूरी है, जिससे किसी तरह का इंफेक्शन न हो सके। आज भी बहुत सी महिलाएं हैं, जो सैनेटरी पैड्स की जगह कपड़ा इस्तेमाल करती हैं। ऐसा करने से महिलाओं में कई तरह की बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सैनेटरी पैड्स के इस्तेमाल के लिए महिलाओं को जागरूक करना बहुत आवश्यक है।
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आजकल लोग वजन कम करने के लिए कई तरह के तरीके अपनाते हैं, जिसमें एक निश्चित डाइट फॉलो करना सबसे अहम तरीका है। आइए जानते हैं विभिन्न तरह के डाइट के प्रकारों के बारे में -