कितने आश्चर्य की बात है! फोटो खींचने की मंशा से कैमरा लेकर निकलने वाले व्यक्ति की दृष्टि ही बदल जाती है, या यूं कहिए कि उसका नज़रिया बदल जाता है। उसको कुछ वे दृश्य भी दिखाई देने लगते हैं जिनकी अन्यथा अनदेखी कर दी जाती है। इस संदर्भ में एक प्रसिद्ध अमेरिकन फोटो जर्नलिस्ट डोरोथिया लेंज का कथन उद्धृत करना असंगत ना होगा कि 'कैमरा वह उपकरण है जो आपको बिना कैमरे के देखना सिखाता है।'
तस्वीर खींचते समय व्यक्ति अपने मन को एकाग्र करके विषय (सब्जेक्ट) पर फोकस करते हुए वास्तव में 'ध्यान' की स्थिति में होता है। अपने गहन अनुभव को याद कीजिए, उस समय आप उपस्थित दृश्य में डूबे होने के कारण अन्य दृश्यों और ध्वनियों से दूर हो जाते हैं। जाहिर है, छायाचित्रण या फोटोग्राफी महज एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक उत्कृष्ट कला है। यह सत्य है कि फोटोग्राफी के लिए एक कैमरा आवश्यक है, किंतु उपकरण का सही उपयोग एवं सही कैमरा सेटिंग्स, फोटो खींचने वाले की दृष्टि और रचनात्मकता के मेल स्वरूप एक उत्कृष्ट चित्र रचना के रूप में निकलकर आता है, जो देखने वाले के मन को प्रसन्न कर देता है। फोटोग्राफी दृश्य और भावनाओं को छवियों के रूप में अंकित करने और प्रस्तुत करने का एक बेहतरीन माध्यम है।
कौन-सा कैमरा श्रेष्ठ है?
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प्रकृति की एक अनोखी देन है सप्तपर्णी। इसके सात पर्ण मानो किसी अदृश्य शक्ति के सात स्वरूपों का प्रतीक हैं और एक पुष्प के साथ मिलकर अष्टदल कमल की भांति हो जाते हैं। हर रात खिलने वाले इसके छोटे-छोटे फूल और उनकी सुगंध किसी सुवासित मधुर गीत तरह मन को आनंद विभोर कर देती है। सप्तपर्णी का वृक्ष न केवल प्रकृति के निकट लाता है, बल्कि उसके रहस्यमय सौंदर्य की अनुभूति भी कराता है।
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बाल गीतों में दादा कहकर संबोधित किया जाने वाला हाथी सचमुच इतना शक्तिशाली होता है कि बाघ और बब्बर शेर तक उससे घबराते हैं। बावजूद इसके यह किसी पर भी यूं ही आक्रमण नहीं कर देता, बल्कि अपनी देहभाषा के ज़रिए उसे दूर रहने की चेतावनी देता है। जानिए, संस्कृत में हस्ती कहलाने वाले इस अलबेले पशु की अनूठी हस्ती के बारे में।
यह विदा करने का महीना है...
साल समाप्त होने को है, किंतु उसकी स्मृतियां संचित हो गई हैं। अवचेतन में ऐसे न जाने कितने वर्ष पड़े हुए हैं। विगत के इस बोझ तले वर्तमान में जीवन रह ही नहीं गया है। वर्ष की विदाई के साथ अब वक़्त उस बोझ को अलविदा कह देने का है।
सर्दी में क्यों तपे धरतीं?
सर्दियों में हमें गुनगुनी गर्माहट की ज़रूरत तो होती है, परंतु इसके लिए कृत्रिम साधनों के प्रयोग के चलते धरती का ताप भी बढ़ने लगता है। यह अंतत: इंसानों और पेड़-पौधों सहित सभी जीवों के लिए घातक है। अब विकल्प हमें चुनना है: जीवन ज़्यादा ज़रूरी है या फ़ैशन और बटन दबाते ही मिलने वाली सुविधाएं?
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रतन टाटा देशवासियों के लिए क्या थे इसकी एक झलक मिली सोशल मीडिया पर, जब अक्टूबर में उनके निधन के बाद हर ख़ास और आम उन्हें बराबर आत्मीयता से याद कर रहा था। रतन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और महज़ दो माह पहले ही उनके बारे में काफ़ी कुछ लिखा भी गया। बावजूद इसके बहुत कुछ लिखा जाना रह गया, और जो लिखा गया वह भी बार-बार पढ़ने योग्य है। इसलिए उनके जयंती माह में पढ़िए उनकी ज़िंदगी की प्रेरक किताब। रतन टाटा के समूचे जीवन को चार मूल्यवान शब्दों की कहानी में पिरो सकते हैं: परिवार, पुरुषार्थ, प्यार और प्रेरणा। उन्हें नमन करते हुए, आइए, उनकी बड़ी-सी ज़िंदगी को इस छोटी-सी किताब में गुनते हैं।