![स्वभाव से भी कंवल... स्वभाव से भी कंवल...](https://cdn.magzter.com/1718015421/1730211740/articles/3Kmu5lnUl1730440532901/1730441081850.jpg)
आसमान न मिला, पर सितारा बने
कंवलजीत वायुसेना में जाकर लड़ाकू विमान उड़ाना चाहते थे। उनका यह स्वप्न तो पूरा न हुआ, परंतु नियति ने इस सुदर्शन युवा को रुपहले पर्दे का सितारा बना दिया।
मेरा जन्म कानपुर में 19 सितंबर को एक सिख परिवार में हुआ। कानपुर मेरी ननिहाल है। मैं परिवार में सबसे छोटा हूं। मुझसे बड़े मेरे दो भाई हैं। पिता एलआईसी में अधिकारी थे तो उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगह उनके तबादले होते रहते थे। देहरादून, लखनऊ, झांसी, आगरा। लेकिन मैं सहारनपुर को अपना मानता हूं। मैं यहां किशोर हुआ। बहुत-से सपने देखे और कुछ पूरे भी हुए।
मेरे नाम का भी अजब क़िस्सा है। आगरा की बात है। पापा जी रॉयल एनफील्ड मोटर साइकिल पर मुझे बिठाकर स्कूल में दाखिले के लिए ले जा रहे थे तब पापा ने मम्मी से पूछा कि इसका क्या नाम रखें तो मम्मी ने कह दिया- वहीं स्कूल का रजिस्टर देख लेना और जो सरदार वाला नाम सही लगे लिखा देना । पापा मुझे लेकर चल दिए। अभी कुछ दूर ही पहुंचे थे कि उन्हें कुछ याद आया और वे वापस घर की तरफ़ मुड़ गए। मम्मी घर के बाहर ही कपड़े धो रही थीं। वहीं दूर से बोले- रानी, इसका कंवलजीत नाम कैसा रहेगा? मम्मी ने हंसते हुए कहा- ठीक रहेगा। इस तरह मैं कंवलजीत सिंह हो गया। बचपन में मुझे सब 'कुक्कू' बुलाते थे।
सहारनपुर के एसडी कॉलेज से मैंने इंटर किया। फिर बीए के लिए जैन कॉलेज में प्रवेश लिया। मसूरी के बोर्डिंग स्कूल सेंट जॉर्ज में भी पढ़ा। मसूरी के मेरे अधिकतर दोस्त आर्मी में गए । मैंने भी एनडीए के लिए परीक्षा दी और पास होता चला गया। मुझे वायुसेना में जाना था। पायलट बनना था सब टेस्ट पास करने के बाद आख़िर में मेडिकल हुआ। तब पता चला कि मुझे सीधे कान से कम सुनाई देता है। मुझे कहा गया कि आप डेस्क वर्क कर सकते हैं, फ्लाइंग नहीं। मुझे लगा कि क्या फ़ायदा! वैसे, कान कुछ समय बाद इलाज कराने पर ठीक हो गया था। लेकिन एक बात बताऊं (हंसते हुए) अब भी जब मुझे किसी की बात नहीं सुननी होती है तो मैं अपना यह कान ख़राब ही बताता हूं।
लुक-छिप कर हीरो बनने चला था.....
Denne historien er fra November 2024-utgaven av Aha Zindagi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra November 2024-utgaven av Aha Zindagi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
![आलस्य आभूषण है आलस्य आभूषण है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/zzbO7x8uO1738586780609/1738586965755.jpg)
आलस्य आभूषण है
जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।
![अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/L7f6G0t_W1738588139109/1738588386951.jpg)
अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर
चांदनी रात में तारों को देखना कितना अलौकिक प्रतीत होता है ना, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तारे, ये आकाशगंगाएं और यह विशाल ब्रह्मांड किस गहरे रहस्य से बंधे हुए हैं? एक ऐसा रहस्य, जिसे हम देख नहीं सकते, लेकिन जो अपनी अदृश्य शक्ति से ब्रह्मांड की धड़कन को नियंत्रित करता है। यह रहस्य है- ब्लैक होल यानी कृष्ण विवर।
![खरे सोने-सा निवेश खरे सोने-सा निवेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/CKfSefwE51738586989311/1738587546289.jpg)
खरे सोने-सा निवेश
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों सोना सदियों से एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बना हुआ है?
![छत्रपति की कूटनीति छत्रपति की कूटनीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/qxtjQ6G7u1738585953921/1738586488566.jpg)
छत्रपति की कूटनीति
पन्हालगढ़ के क़िले में आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका था। सिद्दी जौहर और मराठा सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके भी बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। शिवाजी ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और एक रणनीति रची, दुश्मनों को भेदकर निकल जाने की रणनीति ।
![एक अवसर है दुःख एक अवसर है दुःख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/3mlDP1-4B1738584303808/1738584505229.jpg)
एक अवसर है दुःख
प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है, फिर दु:ख कैसे हो सकता है जिसे महसूस करने के लिए शरीर में एक सुघड़ तंत्र है! अत: दु:ख से भागने के बजाय अगर इसके प्रति जागरूक रहा जाए तो भीतर कुछ अद्भुत भी घट सकता है!
![जोड़ता है जो जल जोड़ता है जो जल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/fhuHDvDDO1738584527654/1738585280079.jpg)
जोड़ता है जो जल
सारे संसार के सनातनी कुंभ में एकत्रित होते हैं। जो जन्मना है वह भी, जो सनातन के सूत्रों में आस्था रखता है वह भी। दुनियादारी के जंजाल में फंसा गृहस्थ भी और कंदरा में रहने वाला संन्यासी भी।
![अदाकार की खाल पर खर्च नहीं अदाकार की खाल पर खर्च नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Tnz5JrK8Q1738582558401/1738582772399.jpg)
अदाकार की खाल पर खर्च नहीं
डॉली को शिकायत है कि जो पोशाक अदाकार की खाल जैसी होती है, उसके किरदार को बिना एक शब्द कहे व्यक्त कर देती है, उसे समुचित महत्व नहीं दिया जाता।
![जब बीमारी पहेली बन जाए... जब बीमारी पहेली बन जाए...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Qc7xb4YAc1738588025693/1738588124342.jpg)
जब बीमारी पहेली बन जाए...
कई बार सुनने में आता है कि फलां को ऐसा रोग हो गया जिसका इलाज ढूंढे नहीं मिल रहा। जाने कैसी बीमारी है, कई क्लीनिक के चक्कर लगा लिए मगर रोग पकड़ में ही नहीं आया।' ऐसे में संभव है कि ये रोग दुर्लभ रोग' की श्रेणी में आता हो। इस दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी) पर एक दृष्टि डालते हैं इन रोगों से जुड़े संघर्षों पर।
![AMBITION ET संकल्प के बाद AMBITION ET संकल्प के बाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/EpMe5uRUx1738582789094/1738583308689.jpg)
AMBITION ET संकल्प के बाद
नववर्ष पर छोटे-बड़े संकल्प लगभग सभी ने लिए होंगे।
![श्वास में शांति का वास श्वास में शांति का वास](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/9neGHffJn1738586618235/1738586767864.jpg)
श्वास में शांति का वास
आज जिससे भी पूछो वो कहेगा मुझे काम का, पढ़ाई का या पैसों का बहुत तनाव है। सही मायने में पूरी दुनिया ही तनाव से परेशान है। इस तनाव को रोका तो नहीं जा सकता मगर एक सहज उपाय है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। -