उसी से ग़म उसी से दम
Aha Zindagi|December 2024
जीवन में हमारे साथ क्या होता है उससे अधिक महत्वपूर्ण है कि हम उस पर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं। इसी पर निर्भर करता है कि हमें ग़म मिलेगा या दम। यह बात जीवन की हर छोटी-बड़ी घटना पर लागू होती है।
डॉ. मनोज सारस्वत
उसी से ग़म उसी से दम

तनाव प्रबंधन पर लिखे जाने वाले लेखों की शुरुआत कुछ इस तरह से होती है - 'आज के आधुनिक जीवन में तनाव एक आम समस्या बन चुका है। हालांकि वास्तविकता यह है कि तनाव हमारे जीवित और सक्रिय रहने का सबूत है। हम अपने बाहरी और आंतरिक वातावरण में घटित होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। यह प्रतिक्रिया ही 'तनाव' कहलाती है। ऐसा नहीं हो सकता कि तनाव हो ही न, क्योंकि जब जीवन में कोई भी चुनौती न हो तब भी तनाव होता है जिसे हाइपोस्ट्रेस (Hypostress) कहा जाता है। यूस्ट्रेस (Eustress) एक सकारात्मक तनाव है जो हमें किसी प्रतिक्रिया के लिए प्रेरित करता है, कार्य करने के लिए तैयार करता है। लेकिन जब हम इस तनाव की गलत व्याख्या करते हैं या इसके प्रति मनोवैज्ञानिक रूप से कमज़ोर पड़ते हैं तो इसका हमारे मन व शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, इसे डिस्ट्रेस (Distress) यानी नकारात्मक तनाव कहा जाता है।

एक ही स्थिति के दो असर

ग़ौर करने वाली बात है कि किसी भी घटना की व्याख्या हमारे नियंत्रण में है और हमारे द्वारा की जाने वाली व्याख्या ही तय करेगी कि उससे नकारात्मक तनाव उत्पन्न होगा या सकारात्मक। एक उदाहरण से समझते हैं कि किसी भी घटना की व्याख्या हमारी भावना, शारीरिक प्रतिक्रिया और व्यवहार पर क्या प्रभाव डालती है। इसी से हमारे रिश्ते का भविष्य भी तय होता है।

मान लीजिए कि आप अपने एक दोस्त को फोन करते हैं, पर वह किसी कारणवश फोन रिसीव नहीं करता। घटना महज़ इतनी है कि आपने फोन किया, जिसका जवाब नहीं दिया गया।

व्याख्या 1 (नकारात्मक): आप सोच सकते हैं कि आपका दोस्त जानबूझकर आपका फोन नहीं उठा रहा है।

Denne historien er fra December 2024-utgaven av Aha Zindagi.

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वन के दम पर हैं हम
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