अमन ने एक महीने पहले नई नौकरी जौइन की जिस में उसे शिफ्ट में काम करना पड़ता था. नौकरी से तो वह खुश था लेकिन जाने क्यों कुछ दिनों से बड़ी ही बेचैनी महसूस कर रहा था. कभी एकदम से पसीने में तर हो जाता तो कभी नींद न आती और अजीबअजीब से खयाल आने लगते, जिस की वजह से वह बहुत परेशान रहने लगा.
वह डाक्टर के पास गया तो डाक्टर ने बताया कि इस का कारण शिफ्ट में काम करना है, जिस को ठीक करने के लिए उसे अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करने होंगे क्योंकि हमारे शरीर के काम करने की एक प्रक्रिया होती है जो बौडी साइकिल की तरह काम करती है, जैसे हमारे खानपान, शारीरिक गतिविधियों, नींद का समय सब हमारे शरीर की गतिविधियों पर आधारित होता है.
समयसमय पर रूटीन बदलना मोटापे की संभावना बढ़ाता है. इस से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है, मूड स्विंग होता है और कब्ज व पेट की परेशानी जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. मोटर वाहन दुर्घटनाओं और काम से संबंधित दुर्घटनाओं का तो खतरा रहता ही है, सब से बड़ी बात कि पारिवारिक समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है. बहुत से मामलों में से में पतिपत्नी के बीच संबंधों में खटास आती जिस के चलते तलाक की नौबत तक आ जाती है.
अमेरिका की न्यूरोसाइंटिस्ट फ्रैंक कहती हैं, "डेली रूटीन की साइकिल बिगड़ने से हम कई रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं, इसीलिए जो लोग शिफ्ट में काम करते हैं उन्हें अकसर स्वास्थ्य संबंधित चिंताएं होने लगती हैं."
Denne historien er fra April 2023-utgaven av Mukta.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra April 2023-utgaven av Mukta.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
कहीं आप ममाज बौय तो नहीं
'ममाज बौयज' होना गलत नहीं है, बल्कि इस से सहानुभूति और कोमल व्यवहार ही मिलता है मगर अपनी मां पर हर काम के लिए निर्भर रहना कमजोर भी बना सकता है.
भ्रामक प्रचार करते फूड व्लॉगर्स
सोशल मीडिया पर फूड इन्फ्लुएंसर्स जगहजगह घूम कर ऐसेऐसे फूड्स का प्रचार करते हैं जो वाकई चटकारे लायक होते हैं लेकिन बात हाइजीन की हो तो वे बेहद ही घटिया होते हैं.
ब्रँड प्रमोटिंग के खेल में मीम्स मार्केटिंग एजेंसी का बढ़ता चलन
सोशल मीडिया प्रचार का सब से बड़ा माध्यम हो गया है. बाजार लगते ही यहां भी बिचैलिए आ गए हैं, जो ब्रैंड और इन्फ्लुएंसर्स के बीच आ कर मोटा मुनाफा ले जाते हैं.
बौलीवुड ट्रेलब्लेजर जर्नलिस्ट आदित्य राणा
आदित्य राणा एलजीबीटीक्यू राइट्स की मांग उठाने वाला जर्नलिस्ट है. वह अकसर बौलीवुड सैलिब्रिटीज के साथ दिखाई देता है. सोशल मीडिया पर जितना उसे ट्रोल किया जाता है उतना ही वह बोल्ड तरीके से अपनी बात रखता है.
संतोषी शेटटी का फैशन कंटेंट हुआ फीका
संतोषी शेट्टी फैशन व्लौगर के रूप में फेमस हुई पर लगता नहीं कि अब उस का कंटैंट कोई देखता है. संतोषी शेट्टी का फैशन ब्लौग नीरस और थका हुआ रहता है. ऐसे में व्यूज की संख्या घटेगी ही.
फालतू इन्फ्लुएंसर्स को यूथ में आइडियलाइज करता बिग बोस
जब से बिग बौस ओटीटी आया है तब से एकाएक फालतू सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स इस शो में आ रहे हैं. बिग बौस इन फालतू इन्फ्लुएंसर्स को युवाओं के बीच में प्रचारित तो कर ही रहा है, साथ में आइडियलाइज भी.
टीनएज में जब गर्लफ्रैंड बने
टीनएज लव यानी किशोरावस्था में प्यार कोई नई बात नहीं है. आप के साथ भी ऐसा हो रहा है तो कोई बात नहीं. बस, उम्र के जोश में यह न भूल जाना कि आप की इस चाहत की मंजिल क्या है.
युवाओं के सपनों के बूते चलते कोचिंग संस्थान
माचिस की डब्बीनुमा कोचिंग संस्थान देशभर में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं. इन कोचिंग संस्थानों में छात्रों को सुनहरे भविष्य का सपना दिखा कर मौत बांटी जा रही है.
रील के चक्कर में जान गंवाते युवा
सोशल मीडिया पर खतरनाक स्टंट वाली रील देखना लोग ज्यादा पसंद करते हैं. वायरल होने की चाहत में युवा ऐसी रील बनाने में अपनी जान गंवा रहे हैं. लखनऊ में पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के आंकड़े बताते हैं कि 7 माह में 83 लोगों की जान रील बनाने के चक्कर में गई हैं.
सैक्सी एंड बोल्ड इमेज के साथ टाइपकास्ट की शिकार हुईं तृप्ति डिमरी
'बुलबुल' और 'कला' फिल्मों में अपनी अच्छी परफोर्मेंस से तृप्ति डिमरी दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, लेकिन 'एनिमल' में उन के बोल्ड सीन्स ने उन्हें रातोंरात एक बोल्ड इमेज में ढाल दिया. सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनने के बावजूद उन की यह सैक्सी इमेज उन के कैरियर के लिए एक चुनौती बन सकती है. क्या तृप्ति इस टाइपकास्ट से बाहर निकल पाएंगी?