पैसा कमाना गलत नहीं, लेकिन गलत हो कर पैसा कमाना गलत है. यह इस बात पर भी डिपैंड करता है कि आप का मीडियम क्या है और उन मीडियमों से आप कैसे सक्सैस हासिल करते हैं. आजकल यूथ ज्यादा और जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं. सब को बड़ीबड़ी गाड़ियों में घूमना है, बड़ा घर चाहिए, नाम चाहिए, इज्जत चाहिए और ये सब मिल जाए तो एक अच्छी लड़की या लड़का किसे नहीं चाहिए भला. पर यह होगा कैसे, यह सवाल बारबार परेशान करता है. कभी यह सवाल नैया पार तो लगाता है पर बहुत बार इस से जूझ रहा यूथ जल्दी किसी के लपेटे में भी आ जाता है.
यही कारण भी है कि इन को लपेटे में लेने के लिए सोशल मीडिया पर गुलाटियां खाने वाले मोटिवेशनल इन्फ्लुएंसर भरे पड़े हैं, जो खुलमखुल्ला लाखों रुपए महीने के कमाने के तरीके बताते हैं. आखिर ये शौर्टकट तरीके हैं क्या और इन की संभावनाएं कितनी हैं? क्या ये तरीके सही भी हैं?
इन्फ्लुएंसर विवेक बिंद्रा की कला
41 साल का विवेक बिंद्रा खुद को 'डा. विवेक बिंद्रा : मोटिवेशनल स्पीकर' के नाम से इंट्रोड्यूस करता है. इसी नाम से उस ने यूट्यूब चैनल बनाया हुआ है. इस चैनल में लगभग 2 करोड़ 13 लाख सब्सक्राइबर हैं. वहीं उस की हर वीडियो को लाखों लोग देखते हैं. समझा जा सकता है कि किस हद तक युवाओं के बीच इस ने पैठ बनाई है. इस के वीडियो के थंबनेल पर लिखा रहता है कि 'फलाना अमीर कैसे बने', ‘पैसों में खेलोगे', 'करोड़ों कैसे कमाएं'. यह युवा की इच्छा की नब्ज पर हाथ रखता है जिस के सपने वह युवा देखना शुरू कर देता है जिस की हलकी भूरी मूछदाढ़ी अभी आनी शुरू हुई है.
उस के बताए उदाहरण इतने लच्छेदार होते हैं कि कोई भी ट्रैप में फंस सकता है. जैसे, बिंद्रा ने एक वीडियो 'चार्ली मुंगर' पर बनाया है जो अमेरिकी बिसनैसमैन और इन्वैस्टर है. बिंद्रा बंदर की तरह उछलउछल कर बोलता है कि मुंगर 7 साल की उम्र में 10 घंटे ग्रौसरी की दुकान पर काम कर के पैसे कमाया करता था और वह 10 से 12 साल की उम्र तक आतेआते अपनी क्लास के बच्चों के होमवर्क, असाइनमैंट बना कर पैसे कमाया करता था.
बेसिरपैर के दावे
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कहीं आप ममाज बौय तो नहीं
'ममाज बौयज' होना गलत नहीं है, बल्कि इस से सहानुभूति और कोमल व्यवहार ही मिलता है मगर अपनी मां पर हर काम के लिए निर्भर रहना कमजोर भी बना सकता है.
भ्रामक प्रचार करते फूड व्लॉगर्स
सोशल मीडिया पर फूड इन्फ्लुएंसर्स जगहजगह घूम कर ऐसेऐसे फूड्स का प्रचार करते हैं जो वाकई चटकारे लायक होते हैं लेकिन बात हाइजीन की हो तो वे बेहद ही घटिया होते हैं.
ब्रँड प्रमोटिंग के खेल में मीम्स मार्केटिंग एजेंसी का बढ़ता चलन
सोशल मीडिया प्रचार का सब से बड़ा माध्यम हो गया है. बाजार लगते ही यहां भी बिचैलिए आ गए हैं, जो ब्रैंड और इन्फ्लुएंसर्स के बीच आ कर मोटा मुनाफा ले जाते हैं.
बौलीवुड ट्रेलब्लेजर जर्नलिस्ट आदित्य राणा
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संतोषी शेटटी का फैशन कंटेंट हुआ फीका
संतोषी शेट्टी फैशन व्लौगर के रूप में फेमस हुई पर लगता नहीं कि अब उस का कंटैंट कोई देखता है. संतोषी शेट्टी का फैशन ब्लौग नीरस और थका हुआ रहता है. ऐसे में व्यूज की संख्या घटेगी ही.
फालतू इन्फ्लुएंसर्स को यूथ में आइडियलाइज करता बिग बोस
जब से बिग बौस ओटीटी आया है तब से एकाएक फालतू सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स इस शो में आ रहे हैं. बिग बौस इन फालतू इन्फ्लुएंसर्स को युवाओं के बीच में प्रचारित तो कर ही रहा है, साथ में आइडियलाइज भी.
टीनएज में जब गर्लफ्रैंड बने
टीनएज लव यानी किशोरावस्था में प्यार कोई नई बात नहीं है. आप के साथ भी ऐसा हो रहा है तो कोई बात नहीं. बस, उम्र के जोश में यह न भूल जाना कि आप की इस चाहत की मंजिल क्या है.
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सोशल मीडिया पर खतरनाक स्टंट वाली रील देखना लोग ज्यादा पसंद करते हैं. वायरल होने की चाहत में युवा ऐसी रील बनाने में अपनी जान गंवा रहे हैं. लखनऊ में पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के आंकड़े बताते हैं कि 7 माह में 83 लोगों की जान रील बनाने के चक्कर में गई हैं.
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