"मेरा नाम लक्ष्मी लालवानी है, औल्सो नौन एज लाला. और मेरा काम है तुम्हें इन्फ्लुएंस करना. तुम्हें बताना कि कैसे दिखना है, क्या खाना है, कहां जाना है तुम्हारा काम है मुझे देखना और सोचते रहना कि काश, तुम्हारी जिंदगी मेरी जैसी होती. मगर एक प्रोब्लम है, यह सब नकली है. जो कपड़े मैं पहनती हूं, जिन होटलों में मैं जाती हूं. मैं ने नहीं बुक किए. मेरे एक मिलियन से ज्यादा फौलोअर्स हैं क्योंकि मैं फौलोअर्स खरीदती हूं. And look at that beautiful nose I have of course मैं ने फोटोशोप कराई है. अपने चेहरे पर फिल्टर लगाती हूं, जो ब्यूटी प्रोडक्ट तुम्हें बेच रहीं हूं वो नहीं, क्योंकि कंज्यूमर्स तुम हो और मैं, बस, एक ऐड हूं, चलताफिरता बिल बोर्ड.
यह डायलौग 'खो गए हम कहां' मूवी का है, जिसे नील परेरा नाम का एक किरदार कहता है. यह फिल्म सोशल मीडिया से पैदा हो रही समस्याओं और फेक दुनिया में खोते युवाओं पर कमैंट करती है. फिल्म को डायरैक्ट किया है अर्जुन वरेन सिंह ने, जिसे नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम किया गया है.
फिल्म 3 फ्रैंड्स- इमाद अली, अहाना सिंह, नील परेरा की स्टोरी बताती है. नील परेरा का रोल यूथ ऐक्टर आदर्श गौरव ने निभाया है. मूवी में नील के पापा प्राइवेट कंपनी में अकाउंटैंट हैं, मां हाउसवाइफ हैं और तीनों एक छोटे से मकान में रहते हैं. नील एक बड़े जिम में ट्रेनर का काम करता है, जहां नामचीन लोगों का आनाजाना लगा रहता है. घर की फाइनैंशियल सिचुएशन ठीक नहीं है पर वह 8,000 रुपए के जूते औनलाइन मंगवाता है. उस के पास 20 जोड़ी जूते हैं क्योंकि वह हर औकेजन के लिए प्रौपर दिखना चाहता है और औनलाइन अपनी इमेज स्टाइलिस्ट इन्फ्लुएंसर की बना कर रखता है.
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कहीं आप ममाज बौय तो नहीं
'ममाज बौयज' होना गलत नहीं है, बल्कि इस से सहानुभूति और कोमल व्यवहार ही मिलता है मगर अपनी मां पर हर काम के लिए निर्भर रहना कमजोर भी बना सकता है.
भ्रामक प्रचार करते फूड व्लॉगर्स
सोशल मीडिया पर फूड इन्फ्लुएंसर्स जगहजगह घूम कर ऐसेऐसे फूड्स का प्रचार करते हैं जो वाकई चटकारे लायक होते हैं लेकिन बात हाइजीन की हो तो वे बेहद ही घटिया होते हैं.
ब्रँड प्रमोटिंग के खेल में मीम्स मार्केटिंग एजेंसी का बढ़ता चलन
सोशल मीडिया प्रचार का सब से बड़ा माध्यम हो गया है. बाजार लगते ही यहां भी बिचैलिए आ गए हैं, जो ब्रैंड और इन्फ्लुएंसर्स के बीच आ कर मोटा मुनाफा ले जाते हैं.
बौलीवुड ट्रेलब्लेजर जर्नलिस्ट आदित्य राणा
आदित्य राणा एलजीबीटीक्यू राइट्स की मांग उठाने वाला जर्नलिस्ट है. वह अकसर बौलीवुड सैलिब्रिटीज के साथ दिखाई देता है. सोशल मीडिया पर जितना उसे ट्रोल किया जाता है उतना ही वह बोल्ड तरीके से अपनी बात रखता है.
संतोषी शेटटी का फैशन कंटेंट हुआ फीका
संतोषी शेट्टी फैशन व्लौगर के रूप में फेमस हुई पर लगता नहीं कि अब उस का कंटैंट कोई देखता है. संतोषी शेट्टी का फैशन ब्लौग नीरस और थका हुआ रहता है. ऐसे में व्यूज की संख्या घटेगी ही.
फालतू इन्फ्लुएंसर्स को यूथ में आइडियलाइज करता बिग बोस
जब से बिग बौस ओटीटी आया है तब से एकाएक फालतू सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स इस शो में आ रहे हैं. बिग बौस इन फालतू इन्फ्लुएंसर्स को युवाओं के बीच में प्रचारित तो कर ही रहा है, साथ में आइडियलाइज भी.
टीनएज में जब गर्लफ्रैंड बने
टीनएज लव यानी किशोरावस्था में प्यार कोई नई बात नहीं है. आप के साथ भी ऐसा हो रहा है तो कोई बात नहीं. बस, उम्र के जोश में यह न भूल जाना कि आप की इस चाहत की मंजिल क्या है.
युवाओं के सपनों के बूते चलते कोचिंग संस्थान
माचिस की डब्बीनुमा कोचिंग संस्थान देशभर में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं. इन कोचिंग संस्थानों में छात्रों को सुनहरे भविष्य का सपना दिखा कर मौत बांटी जा रही है.
रील के चक्कर में जान गंवाते युवा
सोशल मीडिया पर खतरनाक स्टंट वाली रील देखना लोग ज्यादा पसंद करते हैं. वायरल होने की चाहत में युवा ऐसी रील बनाने में अपनी जान गंवा रहे हैं. लखनऊ में पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के आंकड़े बताते हैं कि 7 माह में 83 लोगों की जान रील बनाने के चक्कर में गई हैं.
सैक्सी एंड बोल्ड इमेज के साथ टाइपकास्ट की शिकार हुईं तृप्ति डिमरी
'बुलबुल' और 'कला' फिल्मों में अपनी अच्छी परफोर्मेंस से तृप्ति डिमरी दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, लेकिन 'एनिमल' में उन के बोल्ड सीन्स ने उन्हें रातोंरात एक बोल्ड इमेज में ढाल दिया. सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनने के बावजूद उन की यह सैक्सी इमेज उन के कैरियर के लिए एक चुनौती बन सकती है. क्या तृप्ति इस टाइपकास्ट से बाहर निकल पाएंगी?