वक्फ बोर्ड से जुड़ा 33 वर्ष पुराना विवादित कानून - कांग्रेस सरकार में आया योगी राज में गया
DASTAKTIMES|October 2022
योगी सरकार द्वारा समीक्षा के बाद सरकार ने करीब 33 वर्ष पुराने कांग्रेस काल के उस काले कानून को खत्म कर दिया है जिसके तहत तत्कालीन नारायण दत्त तिवारी सरकार ने तुष्टिकरण की सियासत के चलते वक्फ बोर्ड को असीम शक्तियां मिल गई थीं। सरकार द्वारा वक्फ की प्रॉपर्टी की जांच का फरमान जारी करते हुए वक्फ की सामान्य संपत्तियों की जांच और सीमांकन कराने का आदेश भी दे दिया है।
संजय सक्सेना
वक्फ बोर्ड से जुड़ा 33 वर्ष पुराना विवादित कानून - कांग्रेस सरकार में आया योगी राज में गया

उत्तर प्रदेश के तमाम राज्य वक्फ बोर्ड अक्सर अपने काले कारनामों के कारण विवादित सुर्खियां बटोरते रहे हैं। वक्फ बोर्ड की स्थापना जिन उद्देश्यों के लिए की गई थी, वह सोच नेपथ्य में चली गई है। इसकी जगह वक्फ बोर्ड जमीन कब्जाने की एक इकाई बन कर रह गया है, लेकिन वोट बैंक की सियासत के चलते इसके काले कारनामों को हमेशा न केवल अनदेखा किया जाता रहा, बल्कि इनके फलने-फूलने के लिए कई और खोल दिए गए। खासकर कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड पर कुछ ज्यादा ही मेहरबानी दिखाई, जिसके चलते 1989 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश की कांग्रेस सरकार जिसके मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी हुआ करते थे, ने कानून और संविधान को ठेंगा दिखाते हुए 07 अप्रैल 1989 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि यदि सामान्य संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि का इस्तेमाल वक्फ (मसलन कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह) के रूप में किया जा रहा हो तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। इसके बाद उसका सीमांकन किया जाए। तिवारी सरकार के इस छोटे से आदेश ने वक्फ बोर्ड को असीम शक्तियां दे दीं। वक्फ बोर्ड की सम्पति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी। वक्फ बोर्ड के महत्वपूर्ण पदों पर नेता और दबंग लोग आसीन होने लगे । बड़ी-बड़ी जमीन कब्जा कर बंदरबांट का खेल शुरू हो गया। 

Denne historien er fra October 2022-utgaven av DASTAKTIMES.

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