सनातन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम
DASTAKTIMES|November 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइंटिफिक सोशल रिस्पांसिबिलिटी के कांसेप्ट को आगे बढ़ाने की अपील विज्ञान और उद्योग जगत से कर रखी है। आकाश सम्मेलन जैसे आयोजन देश की उसी स्वदेशी प्रौद्योगिकी और प्राचीन प्रौद्योगिकी के ज्ञान के संगम की धारा को प्रवाहित करने का प्रयास है। अंतरिक्ष क्षेत्र के मुद्दों पर संवाद और अन्तरसम्पर्क का माहौल देने से युवा वैज्ञानिकों की चेन बनाने में मदद मिल सकती है।
राम कुमार सिंह
सनातन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम

देवभूमि में आकाश तत्व सम्मेलन 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल इंसानों के रोजमर्रे की चुनौतियों का हल ढूढ़ने के लिए हमारे देश में किया जाने लगा है। विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकीयों का लाभ आमजन तक पहुंचे, इसके लिए केन्द्र सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार सक्रिय है। चाहे ड्रोन का इस्तेमाल हो या किसी चीज के सेटेलाइट मॉनिटरिंग का मामला हो, इनका इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन एक जो सबसे गौर करने वाली बात है, वो यह कि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि स्वदेशी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही स्वदेशी विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भारत की प्राचीन प्रौद्योगिकियों की उपलब्धियों से जोड़कर उसे प्रचलित बनाया जाए। यह प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है जिसे साकार करने के लिए सबसे जरूरी यह था कि देश के अलग-अलग राज्यों में स्वदेशी विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विचार-विमर्श की एक इकोलॉजी तैयार हो जहां अंतरिक्ष विज्ञान के स्वदेशीकरण को बल मिले।

अंतरिक्ष अनुसंधान के अनुप्रयोगों को लोगों के दैनिक जीवन को सरल सुगम बनाने के लक्ष्य के साथ आकाश सम्मेलन का आयोजन एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर अपराध और तस्करी, जलवायु निगरानी, मरुस्थलीकरण की सही स्थिति के आंकलन, परिवहन क्षेत्र के कुशल प्रशासन को अंजाम दिया जा सकता है। उत्तराखंड की धामी सरकार इन बातों पर ध्यान देते हुए प्रदेश में एक स्पेस इकोसिस्टम को विकसित कर रही है।

इस दिशा में बड़ी पहल करते हुए उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य स्तर पर इस विजन को साकार करने का बीड़ा उठाया है और इसी कड़ी में आकाश तत्त्व- आकाश फॉर लाइफ पर पहला सम्मेलन 5 से 7 नवंबर तक उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित किया गया। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए इसरो और सभी प्रमुख वैज्ञानिक मंत्रालय और विभाग विज्ञान भारती के साथ मिलकर काम किया। गौरतलब है कि विज्ञान भारती स्वदेशी भावना के साथ एक गतिशील विज्ञान आंदोलन है, जो एक ओर पारंपरिक और आधुनिक विज्ञान को, तो वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक और आध्यात्मिक विज्ञान को आपस में जोड़ता है।

क्यों जरूरी है आकाश तत्व सम्मेलन

Denne historien er fra November 2022-utgaven av DASTAKTIMES.

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बेगम स्वरा का नया लुक चर्चा में
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स्वरा का जीवन एक दिलचस्प सफर है, जिसमें फिल्मी करियर, राजनीतिक सक्रियता और व्यक्तिगत जीवन की कई अहम घटनाओं ने उन्हें मीडिया और दर्शकों के बीच खास स्थान दिलाया है। 1988 में दिल्ली के एक हिन्दू परिवार में स्वरा भास्कर का जन्म हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सीनियर स्कूल से की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद, स्वरा भास्कर ने जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) से समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

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स्त्री चेतना, पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सुप्रतिष्ठित लेखिका आकांक्षा यादव के आलेखों का संग्रह 'प्रकृति, संस्कृति और स्त्री' को पढ़ते हुए जहां हम विषयवार उनके विचारों, विवरणों और विवेचनों से प्रभावित होते हैं, वहीं हम निबंध विधा के महत्व को भी जान पाते हैं।

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जन-गण-मन का भाग्य विधाता है संविधान
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भारतीय गणतंत्र अमर है लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है। न्यायपालिका संविधान की जिम्मेदार संरक्षक है। न्यायपीठ ने प्रशंसनीय फैसले किए हैं। अदालतों में लंबित लाखों मुकदमे 'न्याय में देरी से अन्याय के सिद्धांत' की गिरफ्त में हैं। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति का स्वातंत्र्य देता है। अनुच्छेद 20 अन्य बातों के अलावा, 'किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को अपने ही विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य करने से रोकता' है।

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संकट में पाकिस्तानी शिया
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2023 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान के पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में आबादी 7.85 लाख है। इसमें 99 फीसदी पश्तून हैं। पश्तून आबादी में तुरी, बंगरा, जैमुश्त, मंगल, मुकबल, मसुजाई और परचमकानी जनजातियां हैं। तुरी और कुछ बंगश शिया हैं बाकी सब सुन्नी हैं। कुर्रम जिले में 45 प्रतिशत आबादी शिया समुदाय की है जबकि पूरे पाकिस्तान में इस समुदाय की आबादी करीब 15 फीसद है।

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डिजिटल अरेस्ट डर के आगे हार!
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आज के युग में मोबाइल या लैपटॉप आम आदमी के जीवन में काफी प्रसांगिक ये हैं। लेकिन डिजिटल विकास तमाम खूबियां के साथ कुछ खामियां भी लाया है। सात समुंदर पार बैठा शख्स भी किसी से नजदीकियां बढ़ा सकता है, लेकिन इस शख्स की सोच के बारे में कोई डिवाइस नहीं बता सकती है कि वह किस श्रेणी का इंसान है। यहीं से साइबर क्राइम की शुरुआत होती है।

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शीतकालीन चारधाम यात्रा में भी गुलजार होगी देवभूमि
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शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।

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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस

बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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प्रदूषण से सांसत में जान
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दिल्ली राजधानी क्षेत्र में आजकल हवा में पीएम 10 का स्तर 318 और पीएम 2.5 का स्तर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है जिसके फिलहाल कम होने की उम्मीद बेमानी है। जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम ही उचित माना जाता है। खतरनाक स्थिति यह है कि दिल्ली के आसमान पर अब धुंध की परत साफ दिखाई दे रही है।

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पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
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पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

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