![2024 में काशी मथुरा होंगे बीजेपी के तुरूप कार्ड 2024 में काशी मथुरा होंगे बीजेपी के तुरूप कार्ड](https://cdn.magzter.com/1427090692/1673623384/articles/GVVoJFJ6Y1674118125109/1674118436455.jpg)
अयोध्या-मथुरा-काशी हिन्दुओं के आस्था के प्रतीक हैं। किसी के लिए भले ही यह तीन शहरों के नाम जैसे हों, लेकिन रामलला, भोलेनाथ और भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए लिए यह स्थान सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। यह वह तीन देव स्थान हैं, जिसको मुगल काल में काफी नुकसान पहुंचाया गया था और जिसे पाने के लिए हिन्दू समाज लम्बे समय से नहीं, कई सदियों से कोर्ट से लेकर सड़क तक पर 'जंग' लड़ रहा था। मगर तुष्टीकरण की राजनीति के चलते उसे हर तरह से तिरस्कार और अपमान मिल रहा था। कोई भी राजनैतिक दल हिन्दुओं के आस्था के इन प्रतीकों को उन्हें वापस दिलाने के लिए कोई कोशिश तो कर ही नहीं रहा था, बल्कि अड़ंगे भी लगा रहा था। अपवाद के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) एवं भारतीय जनता पार्टी जरूर हिन्दू पक्ष के साथ खड़ी नजर आती थीं, लेकिन उसने भी अयोध्या में प्रभु रामलला के मंदिर के लिए संघर्ष करने के अलावा काशी- मथुरा से अपने आप को दूर ही रखा था। बीजेपी और आरएसएस ने काशी विश्वनाथ मंदिर - ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह विवादों से दूरी तो बनाए रखी, लेकिन उसने अपनी इमेज इस तरह की जरूर बनाए रखी जैसे वह काशी- मथुरा की ‘लड़ाई में भी हिन्दुओं के साथ खड़ी हो। क्योंकि जब भी उसके नेताओ से काशी- मथुरा के विवाद की बात की जाती तो उसके, 'सच्चाई सामने आनी चाहिए' और 'लोगों को अदालत में जाने से नहीं रोका जा सकता' के बयानों को छोड़कर, संगठनात्मक स्तर पर दोनों सीधे मामलों में उलझने से परहेज करते रहे।
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![फक्कड़ कवि थे निराला ! फक्कड़ कवि थे निराला !](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/Hr08Ctfvs1739359528655/1739359939027.jpg)
फक्कड़ कवि थे निराला !
गुराला हिन्दी के उन चंद कवियों में हैं, जिनकी लोकप्रियता व फक्कड़पन को कम ही लोग छू पाये हैं।
![चुनाव तक किस करवट बैठेगा नीतीश का ऊंट चुनाव तक किस करवट बैठेगा नीतीश का ऊंट](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/kE1oj0qmZ1739355692769/1739356974295.jpg)
चुनाव तक किस करवट बैठेगा नीतीश का ऊंट
इस साल बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाले हैं और सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी दलों के लिए जरूरी हैं। लालू चाहते हैं कि नीतीश भाजपा का साथ छोड़कर उनकी तरफ आ जाएं, जबकि भाजपा यह अच्छी तरह समझती है कि वह अकेले दम पर राज्य में जीत हासिल कर अभी सरकार बनाने की हालत में नहीं है।
![इस बार नए अंदाज़, नए तेवर में हेमंत सोरेन इस बार नए अंदाज़, नए तेवर में हेमंत सोरेन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/xIlPeNkqq1739354465726/1739355590196.jpg)
इस बार नए अंदाज़, नए तेवर में हेमंत सोरेन
झारखंड में सत्ता की कुर्सी संभालने के बाद सीएम हेमंत सोरेन के अंदाज़ और तेवर दोनों बदल गये हैं।
![ठाकुरबाड़ी के किस्से ठाकुरबाड़ी के किस्से](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/oul6bCj391739358055517/1739358514414.jpg)
ठाकुरबाड़ी के किस्से
देश के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर के दादा द्वारकानाथ टैगोर इतने बड़े ज़मींदार थे कि जब वे लंदन पहुंचे तो महारानी विक्टोरिया ने उन्हें प्राइवेट डिनर पर बुलाया था। कोलकता में ठाकुरबाड़ी को इन्होंने ही बसाया था। गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के कुटुंब वृत्तांत पर आधारित नई किताब 'ठाकुरबाड़ी' इन दिनों चर्चा में है। प्रस्तुत है अनिमेष मुखर्जी की इस चर्चित पुस्तक का एक अंश-
![एक राज्य, एक नागरिकता एक राज्य, एक नागरिकता](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/UMISqz7cn1739353326740/1739353630010.jpg)
एक राज्य, एक नागरिकता
उत्तराखंड ने आखिरकार समान नागरिक संहिता को अपनाकर संविधान के अनुच्छेद 44 के सपने को साकार कर दिया। यह वह अनुच्छेद है जो भारतीय नागरिकों के लिए पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत करता है। केन्द्र सरकार पूरे देश में इसे लागू करने के लिए दृढ़ संकल्प है। जल्द ही पूरा देश इस दिशा में कदम बढ़ाएगा। पढ़िए दह्तक टाइम्स” के प्रधान संपादक राम कुमार सिंह की यह रिपोर्ट।
![ट्रंप के नए अवतार से क्यों डरी दुनिया ! ट्रंप के नए अवतार से क्यों डरी दुनिया !](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/kz56Sxlbx1739357205647/1739358028636.jpg)
ट्रंप के नए अवतार से क्यों डरी दुनिया !
में डोनाल्ड ट्रंप खुद अमेरिका के बड़े बिजनेसमैन हैं। जनवरी 2025 के मध्य तक ट्रंप की कुल सम्पत्ति 6.8 बिलियन डॉलर थी। उनके करीबी दोस्त व एक्स के मालिक और स्पेसएक्स और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े कारोबारी हैं। मस्क दुनिया के सबसे अमीर आदमी है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव डोनाल्ड ट्रंप को एलन मस्क ने खुलकर सपोर्ट किया था। जब ट्रंप ने जीत दर्ज की तो इनकी कंपनियों के शेयरों में तगड़ी उछाल देखने को मिली। 'दस्तक टाइम्स' के एडीटर दयाशंकर शुक्ल सागर की एक रिपोर्ट
![मील का पत्थर साबित होंगे राष्ट्रीय खेल मील का पत्थर साबित होंगे राष्ट्रीय खेल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/sXrOwEbEf1739347050481/1739347317340.jpg)
मील का पत्थर साबित होंगे राष्ट्रीय खेल
एशियन गेम्स 1982 ने राजधानी दिल्ली को कुछ ही दिनों में तमाम खेलों के इंटरनेशनल आयोजन के लिए तैयार कर दिया था।
![महाकुंभ अलौकिक व अनूढा मेला महाकुंभ अलौकिक व अनूढा मेला](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1985844/RfOfyP2s91739353724584/1739354331586.jpg)
महाकुंभ अलौकिक व अनूढा मेला
प्रयाग की धरती पर दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा मेला सजा हुआ है। ठीक वैसा आयोजन जिसकी परिकल्पना हिन्दू धर्म की प्राचीन स्मृतियों ने की थी। पौराणिकता और परंपराओं में अटूट श्रद्धा रखने वाले आस्था में डूबे असंख्य लोग जाने-अनजाने किए पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना लिए संगम की ओर चले आ रहे हैं। कोई विज्ञापन, कोई प्रचार नहीं। न उम्र की सीमा न जाति का बंधन। न स्त्री पुरुष का भेद, न अमीरी गरीबी का कोई फासला। न चेहरे पर सैकड़ों मील के सफर की कोई थकान। सब सदियों से बहती पवित्र गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती में डुबकी लगाने को आतुर हैं। कुंभ नगरी से संजय पांडेय और आनंद त्रिपाठी की रिपोर्ट।
![सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/UeGXkLx_B1736427422331/1736428171097.jpg)
सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति
भले ही कोई किसी जाति, पन्थ, राष्ट्र अथवा विशेष प्रवृत्तियों वाला व्यक्ति हो और बदले में धन अथवा अन्य किसी भी रूप में किसी प्रतिफल की आकांक्षा न करते हुए मानवमात्र की सेवा ही उसके जीवन का उद्देश्य हो, यही यथार्थ सेवा है।
![आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/WyKWxklF-1736427108307/1736427392753.jpg)
आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा
चर्चित स्त्रीवादी लेखिका गीताश्री ने अपने लेख की शुरुआत में आलोचक व लेखक अखिलेश श्रीवास्तव 'चमन' का नाम लिए बगैर उनकी एक टिप्पणी के आधार पर उनके मर्दवादी नज़रिए पर लानत - मलानत भेजी। एक लेखक की टिप्पणी पर एक नामचीन लेखिका इतनी भड़क जाएं कि अपनी बात शुरू करने के लिए उन्हें संदर्भित करना पड़े तो जाहिर है लेखक की टिप्पणी बेमानी नहीं रही होगी । उसने कोई ऐसी रग छुई है जहां किसी कोने में दर्द छुपा है। बीते 20 साल के स्त्री विमर्श लेखन का एक समानांतर पक्ष जानने के लिए 'दस्तक टाइम्स' ने चमनजी से आग्रह किया कि जो 'सदविचार' उन्होंने किसी साहित्यिक जलसे में दिया था, उसे वह हमारे मंच पर विस्तार दें ताकि मौजूदा दौर के स्त्री विमर्श की एक सटीक तस्वीर पाठकों के सामने आए। तो मुलाहिजा फरमाइये मि. चमन का यह आलेख |