बीते 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने के बाद से उद्धव ठाकरे बदले हुए व्यक्ति लग रहे हैं. कुर्सी छोड़ने के अगले 10 दिनों में उन्होंने मध्य मुंबई में दादर स्थित पार्टी मुख्यालय ' शिवसेना भवन' का चार बार दौरा किया. ताजा माहौल में यह मामूली बात लग सकती है, लेकिन इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछले तीन वर्षों में पार्टी कार्यालय की यह उनकी सबसे अधिक बार की गई यात्राएं हैं. हर दूसरे दिन वे पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को संबोधित भी करते रहे हैं. हालांकि, उद्धव के अचानक सक्रिय होने में कोई आश्चर्य की बात नहीं है. यह अपने पैरों के नीचे जो भी जमीन बची है, उसे बचाए रखने की कोशिश का एक तरीका है. विशेष रूप से इस बात का कि उनकी पार्टी पूरी तरह से उनका तख्ता पलट कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने वाले एकनाथ शिंदे के हाथों में न चली जाए.
विधानसभा में शिवसेना के 55 में से 40 विधायकों को साथ लेकर पार्टी विभाजित करने में सफल होने के बाद पार्टी पर भी शिंदे का कब्जा होने का खतरा न सिर्फ वास्तविक है, बल्कि अस्तित्व का प्रश्न भी मौजूदा स्थिति को अपने पक्ष में मोड़ने की दोनों पक्षों की आतुरता से बहुत सी ऐसी रणनीतिक बारीकियां पैदा हुई हैं, जो एक पखवाड़े पहले तक चले लंबे संघर्ष के दिनों में नहीं दिखी थीं. इसीलिए, उद्धव से जब उनके प्रति वफादार 12 लोकसभा सांसदों ने विपक्ष से नाता तोड़ने और भाजपा उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देने का आग्रह किया तो आधिकारिक शिव सेना ने 12 जुलाई को ऐसा ही करने की घोषणा की. कुछ लोगों का कहना है कि इसके पीछे विद्रोही खेमे के साथ शत्रुता का भाव कम करने और संयोगवश भाजपा के साथ भी संबंध सुधारने की सोच है. शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच गहरी कड़वाहट के साथ ही भाजपा के साथ कोई बिगाड़ न होने की स्थिति में भी भरोसे के साथ किसी तालमेल की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. लेकिन तत्काल निर्णय की जरूरत पैदा करने वाले घटनाक्रम काफी महत्वपूर्ण हैं- जैसे स्थानीय निकाय चुनावों का एकदम सिर पर होना. और, दक्षिणपंथ की ओर उद्धव खेमे की सशर्त वापसी भी महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों को एक बार नए सिरे से लिख सकती है.
Denne historien er fra July 27, 2022-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra July 27, 2022-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
आइसीई युग के बाद ईवी युग
भारत के ऑटो उद्योग के लिए 2025 निर्णायक मोड़ होगा, जब इलेक्ट्रिक वाहन तेजी से बढ़कर मुख्यधारा में आ जाएंगे और शीर्ष खिलाड़ियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी
डिजायर का नया धमाका
चौथी पीढ़ी की डिजायर ने हाल ही में दस्तक दी है और यह कॉम्पैक्ट सेडान स्पेस में तूफानी रफ्तार से दबदबा कायम कर सकती है. हमने गोवा में इसे चलाया, जानिए हमारे तजुर्बे
तीसरी पीढ़ी की होंडा अमेज 8 लाख रुपए से शुरू
होंडा ने तीसरी पीढ़ी की अमेज लॉन्च की है, जिसकी कीमत 8 लाख रुपए से लेकर 10.9 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) तक है.
महिंद्रा ने बीई6 और एक्सईवी 9ई से सबका ध्यान खींचा
महिंद्रा ने भारतीय बाजार में अपनी पहली दो इलेक्ट्रिक ओरिजिन एसयूवी लॉन्च की हैं, जिनके नाम बीई6 और एक्सईवी 9ई हैं.
आवाज अपने वक्त की
लेखक अमिताभ घोष अपने नए गद्य संग्रह वाइल्ड फिक्शन में लेकर आए पिछले 25 साल में लिखे चुनिंदा निबंध
हिमालय में नया शाहकार
मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में ऊंचे ग्लेशियरों से ढके पहाड़ों में सर्दियों का सन्नाटा केवल बर्फीली हवाओं के झोंकों से ही टूटता है, ऐसे दुर्गम इलाके में सफर आसान करने के लिए बनाया गया रास्ता एक शानदार भविष्य की बुनियाद रखने वाला है.
नए सिरे से नवीन की ललकार
बीजू जनता दल सुप्रीमो अपने ही साये से बाहर निकलकर अब एक नए अवतार में सामने आए. अब वे अपने में ही खोए रहने वाले निस्संग राजनेता न रहकर एक आक्रामक विपक्षी ताकत के रूप में पार्टी में जान फूंकने के साथ जनाधार भी बढ़ा रहे
नए-नवेले वाहनों का कुंभ
बाजार में आने वाली नई कारों और बाइकों के प्रदर्शन के साथ भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्स्पो 2025 में देश के ऑटोमोटिव उद्योग की दशा-दिशा तय करेगा
इतने हाइटेक हुए नकलची
जनवरी की 5 तारीख को राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) की 186 रिक्तियों की भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए अपनाई गई ऑफलाइन प्रणाली को अचूक माना जा रहा था. पर वह भी रिमोट एक्सेस सॉफ्वेयर की मदद से आसानी से सेंध लग जाने वाली साबित हुई.
लूट-लपेटकर फुर्र होतीं दुलहनें
मरु प्रदेश में बिगड़ते लिंगानुपात का फायदा उठाने उतर पड़े लुटेरी दुलहनों और उनके दलालों के बड़े गिरोह. एक-एक 'दुलहन' 30-30 तक 'शादियां' रचा रहीं. सीमावर्ती इलाकों में ऐसे ब्याह से सुरक्षा एजेंसियों के भी कान खड़े