आदिवासी. बड़ा ही जीवंत शब्द है यह. अर्थ इतने कि जैसे पूरा जंगल एक पेड़ में समा गया हो. इसकी आहट भर से हमारे दिमाग में विचारों का एक सिलसिला फूट पड़ता है. कितने रंग, ध्वनियां और एहसास - कितनी सघन और गुंथी-बिंधी अभिव्यक्ति पर इसका आखिर मतलब क्या है ? यहां आकर हम शाब्दिक धुंधलके में गुम हो जाते हैं. न तो औसत शहरी- जो कि 'गैर-आदिवासी' होने के एहसास से घिरे हैं - इसका सटीक अर्थ बता पाएंगे और न ही वैज्ञानिक. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका कोई ऐसा सीधा-सादा अर्थ है ही नहीं. ज्यादा से ज्यादा कोई आदि मानवरूपों का समन्वित समूह मानकर इनकी पड़ताल कर सकता है: आदिम और/या अपरिष्कृत, असभ्य, एक-दूसरे से गुंथे-बिंधे समुदाय, जो अलगथलग जंगल, रेगिस्तान या घास के मैदानों में रहते हैं, तर्कशीलता की उन व्यवस्थाओं से दूर जो सभ्यताओं का निर्माण करती हैं.
Denne historien er fra August 10, 2022-utgaven av India Today Hindi.
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एक गुलदस्ता 2025 का
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अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
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महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है