अगस्त की 5 तारीख को, जब कांग्रेस के शीर्ष नेता रोजगार और जरूरत के सामान के आसमान छूते दामों का विरोध करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर उतरे तो उनके निशाने पर वैसे केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ही थी. आखिरकार, प्रमुख विपक्षी दल जिन दो बड़े मुद्दों को उठा रहा था उन्हें इंडिया टुडे के देश का मिज़ाज सर्वेक्षण 2022 में भी उत्तरदाताओं ने मोदी सरकार की दो सबसे बड़ी विफलताएं माना है. इस तथ्य पर एक आधिकारिक मुहर भी उसी दिन तब लग गई जब भारतीय रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया कि महंगाई "बर्दाश्त की ऊपरी सीमा पर बनी हुई है."
अधिकतर अन्य देशों की तरह, भारत भी रूस - यूक्रेन युद्ध और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों जैसी वैश्विक राजनैतिक और आर्थिक घटनाओं का खामियाजा भुगत रहा है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है और रुपया, डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. इन परिस्थितियों में, देश के शीर्ष विपक्षी नेता दिल्ली की सड़कों पर हों और जवाब मांग रहे हों, तो कायदे से तो सत्तारूढ़ भाजपा को अपनी सरकार के प्रदर्शन के पक्ष में तर्क देते हुए बचाव के लिए दौड़ लगानी चाहिए थी.
इसके बजाए, शाम तक खुद कांग्रेस नेता ही महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ अपने प्रदर्शन का बचाव करते और उसे सही ठहराने के प्रयास करते नजर आ रहे थे. सत्तारूढ़ भाजपा ने आरोप लगाया कि यह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके लोकसभा सांसद बेटे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी, भारत के पहले प्रधानमंत्री दिवंगत जवाहरलाल नेहरू की ओर से स्थापित एक सार्वजनिक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड और मां-बेटे की जोड़ी के स्वामित्व वाले एक गैर सरकारी संगठन यंग इंडियन के बीच हुए लेन-देन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से चल रही जांच से ध्यान हटाने के लिए पार्टी की एक चाल थी.
Denne historien er fra August 24, 2022-utgaven av India Today Hindi.
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