राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हाल ही में जारी रिपोर्ट के आंकड़े राजस्थान के लिए बहुत डराने वाले हैं. खासकर यहां की महिलाओं और बेटियों को. ये आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में महिलाओं से बलात्कार के मामलों में राज्य पहले स्थान पर रहा. वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों में वह उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है. यह कोई पहली बार नहीं है. पिछले तीन साल से राजस्थान बलात्कार के मामलों में पहले नंबर पर बना हुआ है. दूसरी तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों की सत्यता पर सवाल उठा रहे हैं. उनका दावा है कि राज्य महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56 प्रतिशत मामले झूठे हैं.
सरकार के दावों और एनसीआरबी के आंकड़ों को एकबारगी अगर किनारे रख दिया जाए तो जमीनी हकीकत बताती है कि राजस्थान के तीन आदिवासी जिलों में महिलाओं के खिलाफ अपराध एक अलग स्तर पर पहुंच चुका है. इन जिलों उदयपुर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा में नाबालिग लड़कियों की खरीदफरोख्त के कई मामले सामने आए हैं. अपनी पड़ताल में इंडिया टुडे को पता चला कि इन जिलों की आदिवासी लड़कियों को मजदूरी के बहाने गुजरात और अन्य राज्यों में ले जाया जाता है और वहां से उन्हें दलालों के हाथ बेच दिया जाता है. मानव तस्करी के खिलाफ लंबे समय से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सरफराज शेख बताते हैं कि इन जिलों से रोजाना 10 से 15 साल के करीब दस हजार बच्चे मजदूरी के लिए गुजरात ले जाए जाते हैं. इन्हीं में से कुछ मानव तस्करों के चंगुल में फंस जाते हैं और फिर कभी वापस अपने घर नहीं लौट पाते. राजस्थान से सटी गुजरात सीमा के इलाकों में कई मानव तस्कर गिरोह सक्रिय हैं, जो इन अपराधों को अंजाम देते हैं.
Denne historien er fra September 21, 2022-utgaven av India Today Hindi.
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