सितंबर ने देश के विपक्षी नेताओं के कदमों में मानो कोई स्प्रिंग लगा दी है. ऐसा लग रहा है कि 2024 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्षी गठबंधन बनाने का एक और प्रयास पूरी तेजी से चल रहा है. इस प्रयास के शुरू होने का कारण नीतीश कुमार का भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होना है. जद (यू) प्रमुख ने अगस्त में एनडीए छोड़ कर बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन सरकार बनाई थी.
पिछले 1 सितंबर को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने बिहार का दौरा किया. वहां नीतीश और उनके उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात करते केसीआर ने "भाजपा-मुक्त भारत " का आह्वान किया. इसके बाद 5 सितंबर को नीतीश ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की. यह मुलाकात राहुल के 'भारत जोड़ो' यात्रा पर देशभ्रमण के लिए रवाना होने से पहले हुई थी. नीतीश-राहुल मुलाकात के तीन दिन बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश दे रही थीं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक संयुक्त विपक्षी मोर्चा तैयार होगा. उन्होंने घोषणा की, "सभी विपक्षी दल साथ आएंगे... एक तरफ हम सब होंगे, दूसरी तरफ भाजपा. भाजपा का 300 सीटें होने का अहंकार ही उसका शत्रु साबित होगा."
इसी दौरान, कांग्रेस की 150-दिवसीय 'भारत जोड़ो' यात्रा कन्याकुमारी से शुरू हो चुकी थी. इस यात्रा का उद्देश्य सत्तारूढ़ भाजपा के कथित विभाजनकारी तौर-तरीकों के खिलाफ जनता का मन-मिजाज तैयार करना है. पार्टी जोर देकर कहती है कि यह अकेले कांग्रेस की यात्रा नहीं है - इसमें सभी विपक्षी ताकतों का स्वागत है. वास्तव में, तमिलनाडु में शुरू हुई इस यात्रा को आरंभ करने के कार्यक्रम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक प्रमुख एम. के. स्टालिन शामिल थे.
Denne historien er fra September 28, 2022-utgaven av India Today Hindi.
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