12 सितंबर को गुर्जर समुदाय के लोग राजस्थान में गुर्जरों के लिए आरक्षण की मांग उठाने और उसके आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने जयपुर से करीब 150 किलोमीटर दूर पुष्कर पहुंचे थे. लेकिन जो मौका गुर्जरों की ताकत दिखाने का हो सकता था, वह इसी समुदाय के दो कैबिनेट मंत्रियों के साथ भीड़ के दुर्व्यवहार के चलते बदमजा हो गया. इसके साथ ही समुदाय के भीतर की फूट सामने आ गई. गुर्जर समुदाय राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा की कम से कम एक दर्जन सीटों पर चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है. इस घटनाक्रम ने खुद को गुर्जरों के निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित कर लेने वाले राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है.
करीब डेढ़ दशक पहले सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी बैंसला ने गुर्जरों को एकजुट करने की पहल शुरू की थी, तब तक गुर्जरों का कोई सर्वमान्य नेता नहीं था. बैंसला ने राजस्थान में समुदाय के लिए विशेष दर्जे की मांग के आंदोलन का नेतृत्व किया. आरक्षण आंदोलन के लिए गुर्जरों को एकजुट करने में वे सफल हुए, पर वे इसका सियासी लाभ नहीं उठा सके. 2009 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर वे कम अंतर से लोकसभा चुनाव हार गए थे.
Denne historien er fra October 05, 2022-utgaven av India Today Hindi.
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