रामजीत सिंह 64 वर्ष
फर्स्ट बैप्टिस्ट चर्च,
कोट मीत सिंह, अमृतसर
पादरीनामा
“सिख धर्म ने बताया कि भगवान है, बाइबल ने रास्ता दिखाया कि उन्हें पाऊं कैसे"
टसिख रामजीत सिंह नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद शराब और अवसाद में डूब गए थे. "ट्रेन के कटने को मैं घर से रेलवे ट्रैक की ओर निकला था. तभी चमकते चेहरे वाला एक आदमी (शायद यीशु) मिला और मुझे बेटियों का वास्ता देकर घर जाने को कहा. उसकी बात मानी और बुरी आदतें छोड़ने का फैसला किया.” अब रामजीत फर्स्ट बैपटिस्ट चर्च का हिस्सा हैं. वे पगड़ी पहनते हैं, दाढ़ी रखते हैं. इससे उन्हें अपने ईसाई धर्म और एक सिख जैसी वेशभूषा के बीच कभी विरोधाभास महसूस नहीं हुआ. खुद में वे दोनों को पाते हैं: "सिख धर्म ने मुझे सिखाया कि ईश्वर है, बाइबल मुझे सिखाती है कि उसे कैसे खोजा जाए."
अंकुर योसेफ नरूला, 43 वर्ष
चर्च ऑफ साइन्स ऐंड वंडर्स, खंब्रा, जालंधर
पादरीनामा
"हम पर होने वाले हमलों का जवाब देने के लिए हम धरना नहीं, 'संवाद और चर्चा' का सहारा लेंगे"
जालंधर में एक हिंदू खत्री व्यवसायी परिवार में जन्मे नरूला दक्षिण अफ्रीकी पादरियों से प्रभावित थे. उनके वीडियो देखते थे. उनके मुताबिक, यीशु ने सपने में आकर ईसाई धर्म अपनाने को कहा. उन्होंने 2008 में तीन अनुयायियों के साथ मिनिस्ट्री शुरू की. आज यह पंजाब का सबसे बड़ा चर्च है, जो दुनिया भर में 3,00,000 सदस्य होना का दावा करता है. इसकी रविवार की सभाओं में 10 से 15 हजार लोग आते हैं. उनके यूट्यूब चैनल के 12.3 लाख सब्सक्राइबर हैं. वे कहते हैं कि प्रवचनों के जरिए वे लोगों की तकलीफ दूर करते हैं. नरूला का दावा है कि वे गठिया से लेकर लकवा और कैंसर तक ठीक कर सकते हैं, यहां तक कि मुर्दा को भी जिंदा कर सकते हैं. उन पर सिख समूहों ने हमला भी किया था लेकिन उनका कहना है कि उनकी कार्य समिति इसके लिए धरना नहीं, 'संवाद और चर्चा' का सहारा लेगी.
Denne historien er fra November 16, 2022-utgaven av India Today Hindi.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
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नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
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अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
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केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"