लखनऊ के अशोक मार्ग स्थित इंदिरा भवन के नौवें तल पर मौजूद आयुर्वेद निदेशालय में सन्नाटा पसरा है. आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिलों के सामने आने के बाद पूर्व आयुर्वेद निदेशक प्रो. एस. एन. सिंह और प्रभारी अधिकारी (शिक्षा) उमाकांत यादव निलंबित हो चुके हैं. निदेशालय के कई कर्मचारी और अधिकारी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं. नतीजतन, निदेशालय का कामकाज ठप है. राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज टूड़ियागंज लखनऊ के प्रधानाचार्य प्रो. प्रकाश चंद्र सक्सेना को नया आयुर्वेद निदेशक बनाया गया है. 14 नवंबर को इसका चार्ज लेते ही प्रो. सक्सेना आयुर्वेद कॉलेजों में प्रवेश संबंधी सभी बारीक जानकारियों से जुड़ी रिपोर्ट बनाने में जुट गए हैं. वे कहते हैं, “आयुर्वेद निदेशालय गड़बड़ी की जांच कर रही एजेंसी को हर तरह का सहयोग करेगा. यह भी सुनिश्चित करेगा कि फर्जी ढंग से प्रवेश लेने वाला एक भी अभ्यर्थी बच न पाए."
यूपी आयुर्वेद निदेशालय जांच एजेंसियों के निशाने पर है क्योंकि आयुर्वेद, होम्योपैथ और यूनानी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए 2021 में हुए नेशनल एलिजिबिलिटी कम ऐंट्रेंस टेस्ट (नीट) की स्टेट काउंसिलिंग का जिम्मा इसी ने उठाया था. करीब एक महीने पहले एक छात्रा ने राष्ट्रपति कार्यालय को शिकायत की कि उससे कम मेरिट वाले अभ्यर्थी को यूपी के आयुष कॉलेज में काउंसलिंग के बाद अच्छी रैंक की सीट पर प्रवेश दिया गया है. राष्ट्रपति कार्यालय से इस शिकायती पत्र को केंद्रीय आयुष मंत्रालय भेजा गया. अक्तूबर के दूसरे हफ्ते में मंत्रालय ने यूपी के आयुष विभाग को पत्र लिखकर आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक शिक्षा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मेडिकल कॉलेजों में काउंसलिंग में हेरफेर करके प्रवेश दिए जाने की सूचना देने के साथ जांच कराने के निर्देश दिए. आयुष विभाग के निर्देश पर आयुर्वेद निदेशालय ने जब 2021 में प्रदेश के आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की मेरिट समेत अन्य जानकारियों की पड़ताल की तो कुल 891 अभ्यर्थियों का प्रवेश संदिग्ध मिला.
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