जनता के संघर्ष की दास्तान
India Today Hindi|December 21, 2022
पी. साईनाथ की नई किताब आजादी हासिल करने वाले साधारण महिलाओं - पुरुषों की असाधारण कहानियां बयां करती है
सौगत दासगुप्ता
जनता के संघर्ष की दास्तान

त्रकार पी. साईनाथ की ताजातरीन किताब का शीर्षक है - द लास्ट हीरोज यानी आखिरी नायक किताब में शामिल आजादी के हरकारों के साथ किताब के लेखक पर भी लागू होता है. वजह ये है कि मीडिया के अक्सर व्याकुल और विभाजित लैंडस्केप पर साईनाथ भारतीय पत्रकारिता के बहुत थोड़े-से नायकों में हैं. इसमें दो राय नहीं कि वे भारत के बचेखुचे अकेले नामचीन पत्रकार हैं जिन्होंने उन ग्रामीण गरीबों के दुःख-दर्द पर ध्यान देने को अपना लक्ष्य बनाया. वे देहाती हिंदुस्तानी जो अब भी देश की विशाल बहुसंख्या का निर्माण करते हैं और जिन्हें सरकार तथा मीडिया ने भी भुलाया और एक तरफ छोड़ा हुआ है.

पूरी जिंदगी जिस काम को वे करते आए, उसी को आगे बढ़ाते हुए द लास्ट हीरोज में साईनाथ आमफहम लोगों की, "किसानों, भूमिहीन मजदूरों, कामगारों, हरकारों, वनोपज बीनने वालों, घर बनाने वालों, घरेलू नौकरों... यहां तक कि कुलीन जमींदार परिवारों के दो-एक बागी सदस्यों की भी " कहानियां सुनाते हैं. वे उन लोगों की दास्तां सुनाते हैं जिनकी बहादुरी को न कभी मान्यता दी गई और न जिसे सेलिब्रेट किया गया. ओडिशा के बाजी मोहम्मद को ही लीजिए, जिनका 2013 में 103 बरस की उम्र में इंतकाल हुआ. वे गांधी से मिले थे और जिन्हें ओडिशा लौट जाने की सख्त हिदायत दी गई थी. गांधी ने मोहम्मद से कहा, "जेल जाओ, लाठी खाओ. देश के लिए बलिदान दो."

Denne historien er fra December 21, 2022-utgaven av India Today Hindi.

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