भारी जिम्मेदारी
India Today Hindi|December 28, 2022
भूपेंद्र पटेल और उनके मंत्रिमंडल ने जिस दिन शपथ ली, उनके आसपास हर तरफ सुकून भरी मुस्कानें बिखरी थीं. हो भी क्यों न, आखिरकार गुजरात के मतदाताओं ने सत्ता विरोधी रुझान की धारणा को धता बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा को अभूतपूर्व बहुमत जो दिया है.
जुमाना शाह
भारी जिम्मेदारी

हालांकि खुशी का यह वक्त थोड़ा ही है क्योंकि अगले कुछ महीने अगर ज्यादा नहीं तो पिछले दो महीनों की तरह ही कड़ी मेहनत की मांग करेंगे. उल्लेखनीय है कि गुजरात विधानसभा के चुनाव आम चुनाव से बमुश्किल 15 महीने पहले होते हैं, इसलिए नई सरकार को आम चुनाव होने तक चुनावी सजगता की स्थिति में रहना होता है. आखिर, जीत की कीमत सर्वोच्च स्तर की सतर्कता ही होती है.

लेकिन जैसे-जैसे चुनाव का उत्साह कम हो रहा है, वैसे-वैसे लोग 'पुरानी वाली 'नई सरकार की वास्तविकता को समझने लगे हैं. सरकार के बारे में किसी प्रकार की निष्क्रियता की धारणा न पनपने देने के लिए राज्य नेतृत्व को 2022 वाली गति को 2024 तक बनाए रखना है, अर्थव्यवस्था में सुधार पर सक्रियता से काम करना है, नौकरियां पैदा करनी हैं और साथ ही, कमजोर आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण के कार्यान्वयन एवं समान नागरिक संहिता (यूसीसी) जैसे विवादास्पद मुद्दों से निबटना है. 2014 से भाजपा गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर रही है और कुल मतों में उसकी हिस्सेदारी हर बार बढ़ी है. फिर भी, उम्मीदें और इस कारण से सत्ता विरोधी लहर का एक झोंका भी खतरनाक साबित हो सकता है. दरअसल आप सर्वोच्च स्तर में सुधार नहीं कर सकते, केवल नीचे आ सकते हैं. ऐसा न होने देना पूरी तरह से पटेल और उनकी टीम पर निर्भर है.

Denne historien er fra December 28, 2022-utgaven av India Today Hindi.

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