मुल्क की प्रसव-पीड़ा का दस्तावेज
India Today Hindi|January 04, 2023
आधुनिक हिंदी उपन्यास अपनी काया में बंटवारे की लंबी छाया, आजादी के बाद का मोहभंग, राजनैतिक उथल-पुथल और जाति व्यवस्था की सचाइयां समेटे हैं
आलोक राय
मुल्क की प्रसव-पीड़ा का दस्तावेज

हिंदी के 10 श्रेष्ट उपन्यास

1. फणीश्वर नाथ रेणु, मैला आंचल (1954)

2. यशपाल, झूठा सच (1960)

3. राही मासूम रजा, आधा गांव (1966)

4. शिवप्रसाद सिंह, अलग अलग वैतरणी (1967)

5. श्रीलाल शुक्ल, राग दरबारी (1968)

6. विनोद कुमार शुक्ल, नौकर की कमीज (1979)

7. निर्मल वर्मा, रात का रिपोर्टर (1989)

8. कृष्णा सोबती, दिल-ओ-दानिश (1993)

9. गीतांजलि श्री, माई (2001)

10. शिवमूर्ति, तर्पण (2010)

 

उपन्यास दुनिया भर में हमेशा से ही तिल-तिलकर मर रहा है - भले ही साथ-साथ फलता-फूलता भी आ रहा है. इस तरह का विरोधाभासी दुःख और विषाद हिंदी उपन्यास के मामले में और बढ़ जाता है. अपने आधुनिक आविष्कार की परिस्थितियों से उपजी वजहों के चलते हिंदी पर राष्ट्रभाषा होने का अतिरिक्त बोझ है, जिसे 'राष्ट्र' के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है. फिर बेरहम सामाजिक सचाइयां अलग. ऐसे में यह आश्चर्य ही है कि उपन्यासकार फिर भी किस्सा कहने की रचनात्मक ऊर्जा खोज ही लेते हैं.

Denne historien er fra January 04, 2023-utgaven av India Today Hindi.

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