पौष्टिकता और बीमारियों से दूर रखने की खूबियों के चलते इन मोटे अनाजों का दौर फिर वापस आया है. भारत में 1960 के दशक में हरित क्रांति से पहले खाद्यान्न उत्पादन में मिलेट्स की हिस्सेदारी 40 फीसद थी लेकिन हरित क्रांति में गेहूं और धान को प्रमुखता दी गई जिससे मोटे अनाज पिछड़ गए और हिस्सेदारी 20 फीसद हो गई. 2018 को भारत मिलेट वर्ष के रूप में मना चुका है और संयुक्त राष्ट्र की अपील पर वर्ष 2023 को विश्व मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है. खाद्य सुरक्षा अभियान में 14 राज्यों में मिलेट्स को शामिल कर लिया गया है. राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा शीर्ष मिलेट उत्पादक राज्य हैं.
क्यों खाएं
मिलेट से शरीर में ग्लूकोज चावल आदि के मुकाबले अपेक्षाकृत धीमी गति से खून में जाता है. इसकी थोड़ी मात्रा ही पेट भरने या तृप्ति का एहसास करा देती है. ये ग्लूटेन फ्री होते हैं. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (आइआइएमआर) हैदराबाद की डायरेक्टर डॉ. सी. वी. रत्नावती बताती हैं कि मिलेट में माइक्रोन्यूट्रेंट्स अच्छी मात्रा में होते हैं. इसे खाकर डायबिटीज की बीमारी को टाला जा हाइपरटेंशन और हृदय रोग को भी सकता है. यह दूर रखने में सहायक है.
कैसे खाएं
इन पोषक अनाजों की खिचड़ी, नमकीन, इनके आटे से रोटी, पराठे, समोसे, चॉकलेट, केक, रसगुल्ले, इडली, डोसा, ढोकला तक दर्जनों व्यंजन बनाए जा सकते हैं. मल्टीग्रेन आटा खाया जा सकता है. इनकी विधि आइआइएमआर की वेबसाइट में बुकलेट के तौर पर उपलब्ध है.
खरीदने के एहतियात
मिलेट उत्पादों को एफएसएसएआइ एगमार्क से सत्यापित करता है, इसलिए एगमार्क देख लें. मिलेट उत्पादों में अगर किसी तरह की असहज गंध आए तो न खरीदें. स्वाद में कड़वापन लगे तो न खाएं.
Denne historien er fra February 01, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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