इससे पहले एक नवंबर को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राजस्थान की चिरंजीवी योजना का परीक्षण करवाने और इसे पूरे देश में लागू करने की बात कही तब भी यह बात यूं ही राजनीतिक बयान की तरह आई गई हो गई. लेकिन बीती 18 जनवरी को नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) के सीईओ राम सेवक शर्मा ने जब चिरंजीवी योजना को देश की सबसे बेहतरीन योजना कहा तो पूरे देश की निगाहें इस योजना की तरफ टिक गईं.
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की यह तारीफ बेवजह नहीं है. इसे कुछ आंकड़ों से बड़ी आसानी से समझा जा सकता है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार वर्ष 2016-17 तक राजस्थान की महज 19 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा योजना से कवर थी जो अब बढ़कर 88 फीसदी तक पहुंच चुकी है. यानी, पिछले पांच-छह साल में राजस्थान में 69 फीसदी आबादी को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ा गया है. इसी का नतीजा है कि पांच साल पहले स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में राजस्थान देश में 23वें नंबर पर था जो अब पहले पायदान पर पहुंच चुका है. बीमा कवरेज के मामले में राजस्थान ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में मॉडल माने जाने वाले केरल और आंध्र प्रदेश, जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है (देखें ग्राफ).
राजस्थान में स्वास्थ्य बीमा कवरेज पाने वाले परिवारों की तादाद राष्ट्रीय औसत से भी दो गुना ज्यादा है. देश में करीब 41 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा से कवर है वहीं राजस्थान की 88 फीसदी आबादी बीमित है. इस समय राजस्थान में कुल 1.75 करोड़ परिवारों में से 1.38 करोड़ परिवार मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े हुए हैं.
Denne historien er fra February 15, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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