भाजपा में दलबलुओं की बहार
India Today Hindi|February 15, 2023
पंजाब की राज्य इकाई को सहारा देने और चुनावी संभावनाएं चमकाने के लिए चौतरफा सेंध लगाकर भाजपा बाहरी नेताओं को पार्टी में लेकर आई. लेकिन इस रास्ते की अपनी खंदक-खाइयां हैं 
अनिलेश एस. महाजन
भाजपा में दलबलुओं की बहार

नवरी की 18 तारीख की बात है, राहुल गांधी की विशाल भारत जोड़ो यात्रा जब पंजाब के होशियारपुर के घटोटा गांव से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मनसेर में दाखिल हो रही थी, तब टीवी न्यूज चैनल कांग्रेस में घट रही एक और घटना की तस्वीरें भी दिखा रहे थे. पार्टी के नेता और पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल उसकी धुर विरोधी भारतीय जनता पार्टी के झंडे तले आने को तैयार, पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में मौजूद थे.

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) को नियंत्रित करने वाले पंजाब के नामी-गिरामी बादल परिवार के युवा वंशज मनप्रीत उस गहन राजनैतिक हुनर के लिए नहीं जाने जाते जो उनके परिवार के अन्य मशहूर सदस्यों में है. मगर इसके बावजूद भाजपा के लिए वे बेशकीमती उपलब्धि थे. आखिर क्यों न होते, कांग्रेस को शर्मसार करने के लिए तो उनका इस्तेमाल किया ही जा सकता है. उनके सहारे, एसएडी प्रमुख सुखबीर बादल के गढ़ रहे मुख्य मालवा क्षेत्र में पैठ बनाने की कोशिश भी की जा सकती है. नवंबर 2021 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गद्दीनशीन भाजपा को पीछे हटने और नए कृषि कानून वापस लेने को मजबूर कर दिया गया था, तभी से पार्टी पंजाब में ढलान पर है. कार्यकर्ताओं का मनोबल ध्वस्त है और समर्थन आधार सिकुड़ रहा है. राज्य इकाई की मजबूती के लिए पार्टी ने जल्द ही कांग्रेस और अकाली दल से नेताओं को अपनी तरफ लाने का रास्ता अपनाया.

मनप्रीत पाला बदलने वालों की उस फेहरिस्त में नवीनतम हैं जिसमें पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनका परिवार भी शामिल है. बेशक इसका दूसरा पहलू भी है. ये नेता गुटबाजी, भ्रष्टाचार के आरोपों और प्रमुख पदों के लिए जोड़-तोड़ के अपने साजोसामान के साथ आते हैं. इन नए बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई भी देने लगी है. नए आए कुछ नेताओं ने उनसे किए गए वादे पूरे होने तक पार्टी बैठकों में शामिल होने से इनकार कर दिया. फिर जो कि होना ही था, भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं की भौंहे तन गई हैं.

Denne historien er fra February 15, 2023-utgaven av India Today Hindi.

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