अचल मिश्र इन दिनों दरभंगा शहर में अपनी नई मैथिली फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं. इस शहर के बैकड्रॉप वाली यह उनकी तीसरी फिल्म है. पहली फिल्म गामक घर को तो कुछ समीक्षकों ने मिथिला की पोथेर पांचाली का खिताब दिया. उनके इस अनूठे काम की तुलना द टोक्यो स्टोरी के विश्वचर्चित जापानी निर्देशक योशुजिरो ओजू और इदा के निर्देशक हीरोकाजू कोरे के काम से की जाने लगी. फिल्म को मुंबई के मामी समेत छह बड़े फिल्म फेस्टिवल्स में अवार्ड मिला. उनकी दूसरी फिल्म धुइन भी सराही गई. और अब वे मैथिली भाषा की अपनी तीसरी फिल्म बना रहे हैं, जहां फिल्म निर्माण के लायक न तो कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर है, न ही तकनीकी जानकार. और तो और, इस इलाके में सिनेमाघर भी नहीं बचे हैं. फिर भी उनका जुनून है कि वे अपनी भाषा में ही फिल्म बनाएंगे और अपने शहर के विषय पर ही.
ऐसा सोचने वाले वे मैथिली के अकेले फिल्मकार नहीं हैं. उनके साथी पार्थ सौरभ ने भी 2022 में पोखर के दुनू पार नाम की एक फिल्म बनाई जिसे स्पेन के सेन सेबेस्टीन फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट न्यू डायरेक्टर अवार्ड मिला. उनकी फिल्म धर्मशाला, भुवनेश्वर और दूसरे शहरों के फिल्म फेस्टिवल्स में भी सराही गई. इस फिल्म की कहानी भी कोरोना के बाद अपने घर मिथिला लौटे प्रेमी जोड़ों के जीवन पर आधारित है. यह विशुद्ध मैथिली फिल्म तो नहीं पर बैकड्रॉप मिथिला ही है.
Denne historien er fra February 22, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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