अतीत के बारे में लिखने पर विंस्टन एस. चर्चिल ने एक बार तंज किया था, "इतिहास मेरे प्रति दयालु होगा, क्योंकि मेरा इरादा इसे लिखने का है." ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ने जो बात मजाक में कही थी, वह गद्दीनशीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर पूरी संजीदगी से फेंकी जा रही है. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की तरफ से इस महीने की शुरुआत में छात्रों के लिए जारी मिडिल और की हाइस्कूल पाठ्य-पुस्तकों में संशोधनों को लेकर जबरदस्त विवाद खड़ा हो गया है. इन बदलावों और खासकर हाल के इतिहास में किए गए बदलावों को लेकर भारी आरोप लगे हैं. आलोचकों ने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह भगवा निजाम के लिए असहज घटनाओं पर लीपापोती करने के लिए पाठ्यक्रम तय करने वाली देश की प्रमुख संस्था का इस्तेमाल कर रही है. एनसीईआरटी ने यह कहकर बचाव किया कि हटाए गए हिस्सों को पिछले जून में सार्वजनिक किया गया था और वे छात्रों पर पाठ्यक्रम का बोझ हल्का करने और उन्हें कोविड-19 महामारी से पढ़ाई में उत्पन्न व्यवधानों से 'तेजी से उबरने' में मदद करने के लिए "युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया" का हिस्सा हैं. उसने यह भी कहा कि ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में तय उन चीजों के अनुरूप हैं जिनमें विषय सामग्री कम करने के लिए कहा गया है. नतीजतन, एनसीईआरटी ने बीते पांच साल में तमाम विषयों के पाठ्यक्रम का 30 फीसद हिस्सा काट-छांट दिया है.
Denne historien er fra April 26, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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