सफर देखिए एक जुनूनी शख्स का! वह राजस्थान में मारवाड़ के भी दूरदराज के पाली जिले के सोकड़ा गांव से निकलता है. पहला ठिकाना जोधपुर; दूसरा निर्णायक ठिकाना दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, वहां से दुनिया में लाखों-करोड़ों के सपनों के शहर अमेरिका के न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी; और फिर वहां से भी करीब 2,500 किमी दूर, अमेरिका की 140 साल पुरानी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस ऐट ऑस्टिन, 2019 से इसी के कॉलेज ऑफ लिबरल आर्ट्स में हिंदी भाषा और साहित्य पढ़ा रहे हैं डॉ. दलपत सिंह राजपुरोहित. दुनिया के अलग-अलग खित्तों से आए छात्रों के लिए वे दक्षिण एशिया को नजदीक से जानने-समझने का जरिया भी हैं. उर्दू में भी उनकी महारत है. हिंदी नाटक और सिनेमा भी उनके विषय हैं. गौरतलब है कि मौजूदा हिंदी सिनेमा के कुछ सितारों खासकर फिल्मी परिवारों से ताल्लुक रखने वालों को भी उन्होंने अपनी कक्षा में पढ़ाया है.
Denne historien er fra April 26, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.