खासकर, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं को इन चुनावों में नहीं उतारने का फैसला लिया, तब भी उसे पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार सरीखे अपने कुछ पुराने योद्धाओं से यह अपेक्षा बिल्कुल नहीं थी कि वे पाला बदल लेंगे. 10 मई को राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में राजनीतिक रूप से व्यस्त सप्ताहांत में, जातिगत कारकों को ध्यान में रखते हुए राज्य के राजनीतिक समीकरणों को साधने की बेताबी सभी दलों में दिख रही है.
भाजपा पिछले कुछ समय से बड़े फेरबदल के संकेत दे रही थी. ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि गुजरात की तरह कर्नाटक में भी, सत्ता विरोधी रुझानों के असर को कम करने के लिए कुछ सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा जबकि कुछ वरिष्ठ नेताओं को अब सेवानिवृत्त किया जाएगा. इसलिए जब उसने अपने 18 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे तो उसे कुछ प्रतिक्रिया की उम्मीद तो पहले से ही थी. 74 वर्षीय वयोवृद्ध के. एस. ईश्वरप्पा सरीखे कुछ वरिष्ठ नेता रेस से पीछे हट गए, जब यह साफ हो गया था कि उन्हें शिवमोग्गा सीट से टिकट नहीं मिलेगा जहां से वे साल 1989 से चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा का गढ़ माने जाने वाले दक्षिण कन्नड़, उत्तर कन्नड़ और उडुपी जैसे तीन तटीय जिलों की 19 विधानसभा सीटों में से छह सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को बदल दिया और उसे इसमें किसी बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. लेकिन, शेट्टार और विधान परिषद के सदस्य तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने अपना टिकट कटने के बाद कांग्रेस का हाथ थाम लिया.
Denne historien er fra May 03, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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