हालांकि अजित पवार इन रिपोर्टों का पुरजोर खंडन करते हैं, पर सूत्रों का कहना है कि चीजें कर्नाटक के विधानसभा चुनाव और महाराष्ट्र में जून 2022 के सत्ता परिवर्तन (जिसमें एकनाथ शिंदे और बागियों के उनके धड़े ने एनसीपी की शिरकत वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी या एमवीए की सरकार गिरा दी थी) से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रफ्तार पकड़ सकती हैं. एनसीपी का एक धड़ा केंद्रीय जांच एजेंसियों की आंच महसूस कर रहा है और पाला बदलने के लिए काफी अधीर बताया जाता है. इस मुहिम की अगुआई एक राष्ट्रीय नेता कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि बड़े पवार ने यह कदम अपनी ताकतों को एकजुट करने की गरज से उठाया, और अजित को यह दिखाने के लिए भी कि एनसीपी में बॉस कौन है या फिर यह भी हो सकता है कि पवार एनसीपी को साथ रखने की खातिर रिश्ते सुधारने की पहल करते हुए अजित को बागडोर संभालने दें. ताकि एनसीपी अगर एमवीए से अलग होने का फैसला करे, तो वे इस कदम से अपने को अलग कर पाएं. पवार यह तक कह सकते हैं कि बहुमत की इच्छा का सम्मान करते हुए वे "लोकतांत्रिक रुख" अपना रहे हैं.
समर्थकों को हैरानी में डालते हुए पवार ने कहा, "आज मैंने एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला किया है." उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा का अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, पर भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे. 82 वर्षीय नेता ने कहा कि अजित, बेटी सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे और दूसरों सहित एनसीपी के बड़े नेताओं की एक समिति नए पार्टी अध्यक्ष के बारे में फैसला करेगी.
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