यह लक्ष्य अभी दूर की कौड़ी लग सकता है, लेकिन भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को पूरा भरोसा है कि यह उनकी पहुंच से दूर नहीं है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री, जिन्हें केसीआर के नाम से जाना जाता है, ने 14 अप्रैल को हैदराबाद में डॉ. बी. आर. आंबेडकर की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कहा, "2024 के संसदीय चुनावों के बाद अगली सरकार हमारी बनेगी." पिछले साल अक्तूबर में, सत्ता तक पहुंचने वाली अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर बीआरएस करने वाले केसीआर अब देशभर में मौजूदगी दर्ज कराने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ 'डबल 100' योजना पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. पहले इस साल नवंबर में राज्य विधानसभा चुनाव में 119 सीटों में से 100 सीटें जीतना, और फिर 2024 के मध्य में होने वाले लोकसभा चुनाव में 543 सीटों में से कम-से-कम 100 सीटों पर कब्जा जमाना, बीआरएस का लक्ष्य है.
तीसरे कार्यकाल की उम्मीद पाले बीआरएस को राज्य में कांग्रेस और भाजपा से जिस तरह की चुनौती मिल रही है, उसे देखते हुए यह लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है. बतौर टीआरएस केसीआर की पार्टी के पिछले चुनावी प्रदर्शनों को देखते हुए (देखें बॉक्स), 100 सीटें जीतने का लक्ष्य कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी लगता है, खासकर जब पार्टी नेताओं ने चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. बीआरएस को सिर्फ तेलंगाना में क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता से भी उसकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं क्योंकि आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में इसके उम्मीदवारों को पार्टी के 'एंबेसडर कार' वाले चुनाव चिन्ह के बजाए अलग-अलग निशान पर लड़ना होगा.
बहरहाल, केसीआर ऐसी बाधाओं से पार पाने के लिए कमर कसने में जुटे हैं. आंबेडकर के नाम पर ही बने नए राज्य सचिवालय के पास उनकी प्रतिमा के अनावरण के मौके पर उन्होंने कहा, "हो सकता है कि हमारे विरोधियों को यह बात हजम न हो. पर आग भड़काने के लिए एक चिनगारी ही काफी होती है." इससे एक दिन पहले सरकार की एक इफ्तार पार्टी में केसीआर ने दावा किया कि भारत सही नेता और सही पार्टी की प्रतीक्षा कर रहा है, और देश बचाने की कोशिश के तहत ही टीआरएस ने एक नया नाम अपनाया है.
Denne historien er fra May 17, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra May 17, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
सबसे अहम शांति
देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
एक गुलदस्ता 2025 का
अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.
मौन सुधारक
आर्थिक उदारीकरण के देश में सूत्रधार, 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
हिंदुस्तानी किस्सागोई का यह सुनहरा दौर
भारतीय मनोरंजन उद्योग जैसे-जैसे विकसित हो रहा है उसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आने, वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बनने और एकदम स्थानीय स्तर के कंटेंट के कारण नए अवसर पैदा हो रहे. साथ ही दुनियाभर के दर्शकों को विविधतापूर्ण कहानियां मिल रहीं
स्वस्थ और सेहतमंद मुल्क के लिए एक रोडमैप
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारी चुनौतियों का पैमाना विशाल है. 'स्वस्थ और विकसित भारत' के लिए मुल्क को टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग, प्रिडिक्टिव प्रिसीजन मेडिसिन, बिग डेटा और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कहीं ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 में भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है
अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
हिंदू-मुस्लिम दोफाड़ अब भी जबरदस्त राजनैतिक संदर्भ बिंदु है. अपने दम पर बहुमत पाने में भाजपा की नाकामी से भी सांप्रदायिक लफ्फाजी शांत नहीं हुई, मगर हिंदुत्व के कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आरएसएस की प्रतिक्रिया अच्छा संकेत
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है