प्राचीन काल से रेत के धोरे ही राजस्थान के बाड़मेर जैसे सरहदी जिलों की पहचान रहे हैं. यहां के जिन युवाओं के हिस्से बचपन से ही अभाव, रेत और आंधियां आई थीं, आज वे सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं. बाड़मेर में इस साल यानी 2023 में 50 से ज्यादा युवा नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) में चुने गए हैं. इनमें से 33 युवाओं का चयन 50 विलेजर्स (फिफ्टी विलेजर्स) नाम की संस्था की पहल के जरिए हुआ है. सभी 33 छात्र बेहद गरीब परिवारों से हैं. संस्था ने ही इन बच्चों की पढ़ाई का सारा सरंजाम इकट्ठा किया. उनके लिए रहने की जगह, भोजन, कपड़ा-लत्ता, बिजली-पानी और स्टेशनरी सब कुछ निशुल्क व्यवस्था पर होने वाले इस खर्च को कुछ भामाशाह यानी कि दानवीर वहन करते आए हैं. गौरतलब है कि 2022 में भी इस संस्था की देखरेख में तैयारी कर रहे 51 बच्चों का नीट में चयन हुआ था.
बाड़मेर से इस अनुपात में छात्र-छात्राओं में के नीट क्लीयर करने का रिकॉर्ड पहले कभी नहीं था. एक दशक पहले की स्थितियों पर गौर करें तो 2012-13 तक पूरे बाड़मेर जिले से 400 डॉक्टर भी नहीं बन पाए थे. लेकिन देश के पांच सबसे बड़े जिलों में शुमार बाड़मेर में आज 5,000 से ज्यादा युवा एमबीबीएस कर रहे हैं. और इनमें से 150 स्टूडेंट ऐसे हैं जो पिछले सात साल में 50 विलेजर्स संस्था की पहल से वहां तक पहुंचे हैं. इनमें से 90 को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला है और 22 एम्स जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान की इकाइयों से एमबीबीएस कर चुके हैं. इस बार जिन 33 छात्रों का चयन हुआ है, उनमें से भी 17 को सरकारी मेडिकल कॉलेज मिलेंगे. नीट के अलावा दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इस संस्थान से 50 छात्रों का चयन हुआ है.
Denne historien er fra July 12, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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