भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वह ऐलान कर सकते हैं जिसका लंबे वक्त से इंतजार किया जा रहा है, और वह है-भारतीय सशस्त्र बलों के थिएटरों का निर्माण. 'एक सरहद, एक बल' के सिद्धांत पर आधारित इस कवायद में सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयों को निश्चित भौगोलिक क्षेत्रों, यानी थिएटरों में एक कमांडर के तहत एकीकृत कर दिया जाएगा. लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग और सहायक सेवाएं इस एक इकाई में गूंथ दी जाएंगी, ताकि सैन्य संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल हो सके, कामकाज में दक्षता आ सके, और कार्रवाइयों में 'जॉइंटनेस' या एकजुटता हासिल हो सके. भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) यानी रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने इसकी शुरुआत की थी. मगर उनकी असमय मृत्यु और अलग-अलग सेनाओं की तरफ से विरोध के चलते इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. मौजूदा सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इसे नया जोश और रफ्तार दी है.
फिलहाल तीनों सेनाएं 17 स्वतंत्र कमान के साथ काम करती हैं. सेना और वायु सेना की सात-सात कमान हैं और नौ सेना की तीन. भारत ने 2001 में पोर्ट ब्लेयर स्थित अंडमान और निकोबार कमान के साथ एकीकृत कमान बनाई थी. स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमान या रणनीतिक बल कमान भी त्रि-सेना कमान के रूप में काम करती है, जिसके हाथ में देश के परमाणु बलों का दारोमदार है.
थिएटर कमान की सिफारिश 2000 में करगिल समीक्षा समिति ने तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए की थी. जनरल रावत की 2020 की मूल योजना के मुताबिक पांच थिएटर कमान बनाई जानी थींपूर्वी, पश्चिमी, प्रायद्वीपीय, समुद्री और वायु रक्षा कमान. दो क्रियाशील कमान-संयुक्त प्रशिक्षण कमान और ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स कमान-की भी योजना थी. मगर अब भारतीय सैन्य बलों को तीन एकीकृत थिएटर कमान में पुनर्गठित किया जाएगा. दो जमीन आधारित कमान होंगी-एक का ध्यान पाकिस्तान पर, दूसरी का चीन पर होगा-और तीसरी समुद्री कमान होगी, जो हिंद महासागर क्षेत्र की देखरेख करेगी.
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