यानी कथित रूप से वे एक ही साथ भाजपा से गुपचुप रिश्ते बनाए रखना चाहती हैं. दूसरी ओर खुद को विपक्ष के इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) की मजबूत खिलाड़ी भी साबित करना चाहती हैं. चौधरी पश्चिम बंगाल के डायमंड हार्बर में एक पार्टी कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस चुनाव क्षेत्र से ममता के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) महासचिव अभिषेक बनर्जी लोकसभा के सदस्य हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता चौधरी ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, "ममता बनर्जी को अपने भतीजे को बचाना है. इसी वजह से वे भाजपा से संपर्क बनाए रखती हैं. लेकिन अब उन्हें लग सकता है कि कांग्रेस देश भर में फिर से उभर रही है और इसी वजह से वे इंडिया ब्लॉक में शामिल होकर हमारी पार्टी की ओर झुक रही हैं. वे दोनों हाथों में लड्डू चाहती हैं." बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के झगड़ालू राजनैतिक इतिहास के मद्देनजर चौधरी ने अपने समर्थकों का दिल जीत लिया. लेकिन साथ ही साथ विपक्ष की व्यापक एकता की कोशिश में कुछ खटास घोल दी. चौधरी के तीखे बोल से दो दिन पहले 13 सितंबर को इंडिया ब्लॉक की समन्वय समिति की नई दिल्ली में बैठक हुई. इसमें समिति ने अभिषेक के साथ जबरदस्त एकजुटता दिखाई. अभिषेक बनर्जी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उसी दिन शिक्षक भर्ती घोटाले में उनकी कथित भूमिका पर नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी. कांग्रेस महासचिव तथा समिति के सदस्य के.सी. वेणुगोपाल ने प्रेस बयान पढ़ा कि अभिषेक “भारतीय जनता पार्टी की प्रतिशोध की राजनीति के तहत ईडी के समन के कारण" बैठक में शामिल नहीं हो सके. यह बयान टीएमसी और खुद अभिषेक, जो समिति के सदस्य भी हैं, के दावों से मेल खाता है कि केंद्रीय एजेंसियों के समन और जांच टीएमसी के खिलाफ भाजपा के हमले हैं.
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