कारों के भविष्य के संदर्भ में कई स्थापित खिलाड़ियों के लिए ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेढ़ी खीर मालूम होती है. इसमें कई एडीएएस (एडवांस्ड ड्राइवर-असिस्टेंस सिस्टम) कंपोनेंट या घटक होते हैं जो किसी कार को खुद चलाने के योग्य बनाते हैं. इन कारों में मिलने वाली सहायता के स्तर को उपयोग की गई असिस्टेंस-सबसिस्टम की संख्या के आधार पर 0 से 5 तक बांटा गया है. लेवल 5 सेल्फ-ड्राइविंग कारों के बराबर है और कई निर्माताओं ने इस स्तर को हासिल कर लिया है. अलबत्ता ड्राइवरों के बिना कार चलाने की कानूनी मंजूरी पूरी तरह से अलग मामला है. एक ओर जहां गूगल की सेल्फ-ड्राइविंग कार परियोजना वेमो को अमेरिका के नेवादा राज्य में टैक्सियों के रूप में चलाने के लिए पहला आधिकारिक लाइसेंस मिलने के बाद बंद कर दिया गया था, वहीं ज्यादातर का जगहों पर कानून के मुताबिक चालक की सीट पर किसी व्यक्ति का होना जरूरी है और उसके हाथ स्टीयरिंग व्हील पर होने चाहिए, भले ही कार अपने आप चलने के लिए सभी तरह की प्रणालियों से सुसज्जित क्यों न हो.
एक ओर जहां कई प्रीमियम गड़ियां, जिनमें भारत में असेंबल किए जाने वाले वाहन भी शामिल हैं, पिछले कुछ समय से एडीएएस लेवल 3 और लेवल 4 से लैस हैं, वहीं दूसरी ओर, हुंडई मोटर, महिंद्रा, एमजी मोटर और अब टाटा मोटर्स सहित कई बड़े कार निर्माताओं ने अपनी कारों में विभिन्न एडीएएस टेक्नोलॉजी शामिल करने की शुरुआत कर दी है. ये कंपनियां 20 लाख रुपए से कम कीमत वाली कारों के सेगमेंट में भी ये सुविधाएं जोड़ रही हैं.
Denne historien er fra October 04, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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