छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री, 71 वर्षीय त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव उस दौर को याद करते हैं जब वे अपने पिता के साथ शिकार पर जाते थे और जंगल के भीतर बने पानी के छोटे-छोटे गड्ढों के पास शिकार के इंतजार में ताक लगाकर बैठते थे, जहां जानवर पानी पीने के लिए आते थे. पूर्ववती सरगुजा रियासत के 'महाराजा' सिंह देव जिन्हें लोग प्यार से बाबा भी पुकारते हैं, बताते हैं कि बचपन के इस अनुभव ने उनके भीतर धैर्य पैदा करने में मदद की.
कई दशक बाद, यह धैर्य ही था जिसने उन्हें उस कठिन दौर का खामोशी से सामना करने की हिम्मत दी जब उनकी पार्टी कांग्रेस ने कथित तौर पर बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद देने का अपना वादा नहीं निभाया और यहां तक कि सीएम भूपेश बघेल के साथ उनके तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने भी उन्हें तवज्जो देना बंद कर दिया. आखिरकार इस साल जून में सिंह देव को डिप्टी सीएम के रूप में पदोन्नत किया गया क्योंकि कांग्रेस प्रदेश में आंतरिक गतिरोध को दूर कर एकजुट होकर चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही थी.
Denne historien er fra November 22, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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शब्द हैं तो सब है
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ठोकने की यह कैसी नीति
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अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"