जुलाई के अंत में, महाराष्ट्र सरकार ने एक निर्देश जारी किया कि उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार अनुमोदित कोई भी प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए, दूसरे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की टेबल से होकर ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यालय में जाना चाहिए. इस आदेश को अजित के पर कतरने के प्रयास के रूप में देखा गया.
इससे कुछ हफ्ते पहले ही अजित तख्तापलट करते हुए अपने चाचा और पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को तोड़कर भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) सरकार में शामिल हो गए थे. अजित को महत्वपूर्ण वित्त विभाग मिला, वहीं उनके सहयोगियों को कोऑपरेटिव और कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी मिले. जून 2022 में शिंदे के शिवसेना से अलग होने के बाद, अजित ने शरद पवार की जगह खुद को एनसीपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआइ) में पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा ठोक दिया.
चार महीने बाद भी अजित तीन दलों के गठबंधन में अपनी माकूल जगह तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी एनसीपी, भाजपा और शिंदे की सेना के बीच अभी भी मनमुटाव है और बताया जाता है कि प्रशासन से जुड़े फैसले मुख्य रूप से फडणवीस ही ले रहे हैं (यह पहली बार है कि महाराष्ट्र में दो डिप्टी सीएम बने हैं). एनसीपी गुट के नेता अपने अक्खड़ मिजाज के लिए जाने जाते हैं (जो कई बार बहुत कठोर होने की हद तक होता है) लेकिन सूत्रों का दावा है कि गठबंधन की राजनीति ने “अजित दादा को नरम" बना दिया है. दो वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि डिप्टी सीएम की भूमिका में अपने पिछले अवतारों के विपरीत, अजित इस बार "नरम" थे और सरकार पर फडणवीस का प्रभाव अधिक था. दरअसल, मराठा आरक्षण आंदोलन पर बढ़ती अशांति के बाद शिंदे और फडणवीस इस मुद्दे पर चर्चा के लिए हाल ही में नई दिल्ली पहुंचे थे; अजित ने बाद में दावा किया कि उन्हें इस यात्रा की जानकारी नहीं थी. लेकिन जहां शिंदे मराठा कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल का उपवास खत्म कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे थे, अजित पूरे परिदृश्य में कहीं नजर नहीं आए (उनके सहयोगियों का कहना है कि वे डेंगू से पीड़ित थे).
Denne historien er fra November 22, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra November 22, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"