देवदत्त पटनायक कभी भी अपनी राय जाहिर करने से हिचकिचाते नहीं, भले ही लीक से एकदम हटकर हो. एक पुराणकथाविद्, कहानीकार और सार्वजनिक वक्ता के तौर पर यही संभवत: उनकी सबसे बड़ी ताकत है. पेशे से डॉक्टर पटनायक ने फार्मास्युटिकल और स्वास्थ्य सेवा उद्योग में काम करते रहने के दौरान ही लिखना शुरू किया. उनकी पहली किताब शिवा: ऐन इंट्रोडक्शन थी, जो 1997 में छपी थी. और एक पूर्णकालिक लेखक बनने के बाद पटनायक ने लगभग हर प्रमुख देवता के बारे में लिखा है.
पटनायक की कई किताबों ने महाकाव्यों की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती दी है या हाशिये पर पड़े पात्रों और आख्यानों पर रोशनी डाली. इनमें द मैन हू वॉज अ वूमन ऐंड अदर क्वीयर टेल्स फ्रॉम हिंदू लोर (2002), द प्रेग्नेंट किंग (2008), सीता: ऐन इलस्ट्रेटेड रिटेलिंग ऑफ द रामायण (2013), शिखंडी: ऐंड अदर टेल्स दे डोंट टेल यू (2014) और ओलिंपसः ऐन इंडियन रिटेलिंग ऑफ ग्रीक माइथोलॉजी (2016) शामिल हैं. पटनायक अपनी किताबों के लिए चित्र खुद बनाते हैं. उन्होंने युवा पाठकों के लिए भी किताबें लिखी हैं. वे हिंदू पौराणिक गाथाओं पर आधारित प्रबंधन पुस्तकों की एक सीरीज भी पेश कर चुके हैं.
ऑडिबल पर जारी अपने नए पॉडकास्ट, सुनो रामायण देवदत्त पटनायक के साथ में पटनायक ने आकर्षक 'हिंग्लिश' वर्णन शैली अपनाई है. वे कहते हैं, "यह (शैली) भारतीय ऑडियंस को सबसे ज्यादा भाती है. इसके अलावा, कुछ कहानियां हिंदी में कहीं बेहतर लगती हैं. मसलन, भोग और योग शब्द दर्शकों को ज्यादा आसानी से समझ में आते हैं, जबकि अंग्रेजी में वे 'विलासिता' (इंडल्जेंस) और 'संयम' (रिस्ट्रेंट) जैसे अर्थ दर्शाते हैं."
Denne historien er fra December 06, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
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