विकास दिव्यकीर्ति, 48 वर्ष संस्थापक, दृष्टि आइएएस
दृष्टि आइएएस के दफ्तर पहुंचने के लिए आपको दिल्ली के मुखर्जी नगर पर विचरते स्टूडेंट्स के सैलाब को चीरते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ना होता है. यह ऑफिस दृष्टि की मुख्य बिल्डिंग से कुछ 100 मीटर आगे है. यहां से उनके पांच सेंटर और ऑनलाइन कोर्सेज संचालित होते हैं. अंदर इस 'एजुकेशन' कंपनी का टॉप मैनेजमेंट बैठता है. इसके अलावा यहां पर वह क्रेश (शिशुगृह) भी दिखता है जिसे दृष्टि की कर्मचारी-केंद्रित पॉलिसीज के तहत बनाया गया है.
मुखर्जी नगर की सड़कों पर लिखी जाने वाली सफलता की कहानियों के बारे में हम जब भी सोचते हैं, हम उन लाखों लड़के-लड़कियों की कल्पना करते हैं जो यहां के छोटे-छोटे कमरों में रहते हुए बड़े-बड़े अफसर बन जाते हैं. ऐसे ही एक और लड़के की तकदीर यहां '90 के दशक में लिखी गई थी. जो खुद तो अफसर नहीं बना, मगर हजारों को बनाया. दरअसल, खुद वह उद्यमी बना.
क्या एक टीचर का उद्यमी होना उसके अध्यापन के मूल कर्तव्य में रोड़ा अटकाता है? विकास दिव्यकीर्ति अब ऐसा नहीं मानते. वे कहते हैं, "मैं ऐसे टीचर माता-पिता का बेटा हूं, जो मानते थे कि शिक्षा का व्यवसाय करना एक गलत काम है." शिक्षा देना और धन अर्जित करना एक-दूसरे की विरोधी बातें नहीं है, यह समझने में दिव्यकीर्ति को वक्त लगा. वे बताते हैं, "आज जब पाता हूं कि दृष्टि 1,800 स्टाफ सदस्यों (टीचिंग व गैर-टीचिंग) के परिवारों का सहारा बन पा रहा है तो यह अपराधबोध जाता रहता है. हम सभी एम्प्लॉईज को हेल्थ इंश्योरेंस देते हैं, सरकारी नियम के तहत पूरी मैटरनिटी लीव देते हैं. साथ ही नए पिताओं के लिए पैटरनिटी लीव और महिलाओं के लिए मेंस्ट्रअल लीव देते हैं. हमने कोविड के समय किसी की नौकरी नहीं जाने दी."
Denne historien er fra December 13, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra December 13, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई