राम सवानी, 43 वर्ष संस्थापक, सवानी हेरिटेज कंजर्वेशन
सौराष्ट्र के जामनगर में समंदर के किनारे बसा है जोड़ियाबंदर गांव. इस गांव से लोग आजादी के पहले कराची और मुंबई मजदूरी करने जाते थे. राम सवानी के दादा भी कराची में राजमिस्तरी का काम करने गए थे. देश के बंटवारे के बाद उनके दादा वापस आ गए. सवानी के पिता ने भी यही काम किया और चाचा ने भी उनकी जिंदगी में जैसे तय था कि सबको यही काम करना है. सवानी कहते हैं, "बचपन से ही जब कभी मैं किसी ऐतिहासिक स्मारक को देखने जाता था तो उसकी स्थिति देखकर मुझे बेचैनी होती थी. लगता था कि राजमिस्तरी का ही काम करना है तो कुछ ऐसा क्यों न किया जाए जिससे ऐतिहासिक स्मारक वापस अपने गौरवशाली रूप में आ सकें. स्कूल जाने के बाद जो समय मिलता था, वह परिवार के लोगों के साथ काम करने में गुजरता था. काफी कुछ सीखा लेकिन एक बेचैनी रही. यही वजह थी कि मैंने यह तय किया कि स्कूल के बाद सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी है."
भारत की 250 से अधिक ऐतिहासिक इमारतों के रिस्टोरेशन का काम करने वाली कंपनी सवानी हेरिटेज कंजर्वेशन प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक राम सवानी बताते हैं कि जब वे पढ़ रहे थे तो उनके चाचा शांतिलाल सवानी मुंबई में काम कर रहे थे. शांतिलाल सवानी ने राजमिस्तरी के अलावा पत्थर तराशने और लकड़ी का काम भी सीखा था. चाचा से राम को यह पता चला कि एसोसिएट सीमेंट कंपनी (एसीसी) ने ठाणे में एक रिसर्च सेंटर शुरू किया है. इसमें चूना पत्थर को लेकर रिसर्च हो रही है. इसी रिसर्च के आधार पर एसीसी कुछ ऐतिहासिक विरासतों को रिस्टोर करने का काम कर रही थी. इनमें से कुछ प्रोजेक्ट पर राम सवानी के चाचा काम करते थे. राम अपने चाचा से इस काम की बारीकियों के बारे में खूब बातें करते थे.
Denne historien er fra December 13, 2023-utgaven av India Today Hindi.
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