रैली में उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के विकास में सबसे बड़ी बाधा था. भाजपा ने वह दीवार गिरा दी. अब विकास से जुड़ी सभी पहल एक साथ लागू हो रही हैं." अनुच्छेद 370 निरस्त होने के सकारात्मक नतीजों को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विकास से दुनियाभर में उत्साह नजर आता है और, "खाड़ी देश यहां निवेश में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं." उन्होंने कहा, "देश और श्रीनगर में सफल जी20 बैठक की गूंज पूरी दुनिया में सुनी गई. बीते एक साल में रिकॉर्ड दो करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर पहुंचे." साथ ही, उन्होंने उम्मीद जताई कि श्रीनगर से जम्मू तक और वहां से पूरे देश में ट्रेन नेटवर्क के विस्तार से पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी.
रैली एक तरह से जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत थी, जो संसद के निचले सदन में अपने छह प्रतिनिधि भेजता है. इनमें तीन जम्मू और तीन कश्मीर से चुने जाते हैं. जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे में बदलाव और इससे जुड़े विवादों के मद्देनजर आगामी चुनाव को सियासी दलों, खासकर भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है. काफी अर्से से लंबित विधानसभा चुनाव पर इसका असर तय माना जा रहा है, जो 2014 के बाद से नहीं हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सितंबर 2024 से पूर्व विधानसभा चुनाव कराने को कहा है.
विकास परियोजनाओं के जरिए जम्मू-कश्मीर को लुभाना मोदी के एजेंडे में शीर्ष पर था. इसी क्रम में एक बेहद अहम परियोजना 48.1 किलोमीटर लंबी बनिहाल-खारी-सुंबर-संगलदान रेलवे लाइन का उद्घाटन किया गया, जो कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने वाले 272 किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लिंक (यूएसबीआरएल) के कटरा-बनिहाल खंड का हिस्सा है.
इसमें हिमालयी क्षेत्र में निर्मित भारत की सबसे लंबी परिवहन सुरंग भी है, जो कि भारतीय रेलवे की एक खास उपलब्धि है. 12.7 किमी लंबी यह सुरंग टी-49 रामबन जिले में सुंबर और अरपिंचला स्टेशनों के बीच दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है. प्रधानमंत्री ने कुल 185.66 किलोमीटर लंबे मार्गों पर चलने वाली इलेक्ट्रिक ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई. बारामुला-श्रीनगर-बनिहाल-संगलदान खंड हर मौसम में कश्मीर को रेल नेटवर्क के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जोड़े रखने की दिशा में अहम कदम है.
Denne historien er fra March 06, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra March 06, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही