विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं को एक मंच पर खड़ा होने में नौ महीने और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी लगी. दिल्ली के रामलीला मैदान में 31 मार्च को भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन ('इंडिया') के 27 पार्टियों के नेता केजरीवाल की कथित दिल्ली शराब नीति मामले में संलिप्तता के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के उन्हें गिरफ्तार करने के खिलाफ महा रैली में जुटे, वे हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के भी विरोध में खड़े थे, जिन्होंने कथित भूमि घोटाले में ईडी की गिरफ्तारी के बाद 31 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
यही नहीं, रैली के ऐन पहले विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को कथित कर उल्लंघनों पर आयकर (आइटी) विभाग से कई नोटिस मिल चुके थे, जिसमें 3,500 करोड़ रुपए के जुर्माने की मांग थी. आखिर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आइटी विभाग पर बेहद अहम चुनाव के मौके पर दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया. अदालत के सख्त रुख की वजह से आइटी अधिकारी पीछे हटने को मजबूर हुए और आश्वासन देना पड़ा कि वे चुनाव खत्म होने तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं करेंगे. लेकिन 'चार सौ पार' का भारी बहुमत हासिल करने का दावा करने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मंशा पर कोई संदेह नहीं रह गया है. विरोधियों को बर्बाद करने की उसकी कुटिल योजना को उसके प्रतिद्वंद्वी भांप पा रहे हैं. सत्तारूढ़ दल उन्हें निबटाने के लिए अपने हाथ के हर तरीके का इस्तेमाल करने को तैयार है, चाहे पार्टियों को तोड़ने, नेताओं को गिरफ्तार करने और उनका पाला बदल करवाने, उनके पैसे के प्रवाह को रोकना हो.
Denne historien er fra April 17, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"