गढ़ बचाने और भेदने के पैंतरे
India Today Hindi|April 24, 2024
कांग्रेस अपने आखिरी गढ़ों में से एक पर काबिज रहने, वामपंथी फिर अपने पुरुत्थान और भाजपा सेंध लगाने की कोशिश में. केरल का रुख आखिर होगा किस ओर? 
जीमॉन जैकब, कोच्चि में
गढ़ बचाने और भेदने के पैंतरे

अमूमन लुटियन्स दिल्ली के दूरबीन से देखने पर केरल एक अबूझ - सा अजीबोगरीब छोटा टापू लग सकता है. मोटे तौर पर यह हर मायने में मुख्य इलाके से दूर दिखता है, अपने अड़ियल राजनैतिक रुझानों में भी इसकी 20 सीटों का छोटा-सा दायरा कुल लोकसभा का महज 3.7 फीसद घेरता है लेकिन वह लोकतंत्र से कुछ ज्यादा ही वाबस्ता है. यकीनन, अड़ियल तमिलनाडु पड़ोस में न होता तो केरल खुद को रोमन साम्राज्य के खिलाफ डटकर खड़े इकलौते गॉलिश गांव के पूरे रंग-ढंग में रचा-बसा पा सकता था. जमीन के उस एक टुकड़े की तरह, जैसे पौराणिक गाथाओं में वामन ने राजा महाबलि से मांगा था. जो बारीकियों पर गहरी नजर रखते हैं, उन्हें याद होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के अपने विजय भाषण में जिक्र किया था कि छोटी-सी गैर-मौजूदगी भी खलती है. उन्होंने साफ-साफ केरल को आखिरी रण-क्षेत्र बताया था. तब से राज्य में नारियल फोड़ने की पार्टी की लालसा और तेज हो गई है. इससे लड़ाई भी पैनी और धारदार हो गई है. 5 अप्रैल को दूरदर्शन ने अचानक विवादास्पद द केरल स्टोरी को दिखाया. हंसोड़ खलनायकी और जुगुप्सा जगाने वाली यह लिजलिजी सिनेमाई प्रस्तुति लोगों को लुभाने का एक अजीब तरीका लग सकती है, लेकिन इससे राष्ट्रीय चेतना में राज्य की चुभन वाली मौजूदगी दर्ज हुई. आखिर केरल किसी की नजर में तो है.

राहुल गांधी की वायनाड से उम्मीदवारी राष्ट्रीय जुड़ाव और राजनैतिक दूरी दोनों का एक साथ प्रतिबिंब है. जैसे कहा जाए कि जो कुछ भी है, पर वह उत्तर प्रदेश तो नहीं ही है. इससे बात समझ में आ जाएगी. 2019 में उत्तर के भगवा बाढ़ वाले मैदानों के मुकाबले केरल कांग्रेस के उतार के दौर में भी सुरक्षित पनाहगाह बना रहा. लेकिन अब पार्टी अपने कायाकल्प के लिए आयुर्वेदिक सुख-चिकित्सा के दूसरे दौर की तलाश में है, तो उसे यहां की हवा थोड़ी सर्द, अबूझ लग रही है और बिजली-सी कड़कती नजर आ रही है. बेशक, इसकी एक वजह भाजपा की तेज चहलकदमी है. हर नुक्कड़-चौराहे पर मोदी के पोस्टर चस्पां हैं, हर लैंप पोस्ट और दीवार पर कमल झांकता है, भाजपा के नैरेटिव के मुताबिक मीडिया में बहसें जारी हैं, पार्टी के विशाल संसाधनों का प्रदर्शन बेहिसाब है और उसके राजनैतिक आगमन के संकेत हर जगह मौजूद दिखते हैं.

Denne historien er fra April 24, 2024-utgaven av India Today Hindi.

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